Manipur News: मणिपुर (Manipur) में एक वायरल वीडियो से बवाल मच गया. वीडियो में दावा किया गया कि आरएएफ (RAF) के जवान ने छह जुलाई से लापता दो छात्रों की हत्या का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों से निपटने के दौरान जातिगत टिप्पणी की. दावे के मुताबिक जवान ने कहा कि ''वह हमारी जाति का नहीं है, कुछ भी करो.'' वीडियो सामने आने के बाद देश भर में इसकी जमकर आलोचना की जा रही है. अब इसे लेकर मणिपुर पुलिस (Manipur Police) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सफाई दी है.
पुलिस ने लिखा कि ''मणिपुर में आरएएफ की कार्रवाई के संबंध में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है. सीआरपीएफ/आरएएफ इसका खंडन करता है. व्हाट्सएप ग्रुप/ट्विटर पर दिखाया गया है कि आरएएफ कर्मी हिंसक भीड़ से निपटने के दौरान जातिवादी टिप्पणियां कर रहे हैं. कथित वीडियो क्लिप में आवाज आरएएफ कर्मियों की नहीं है. ऐसा लग रहा है कि वीडियो बनाने वाले ने आरएएफ जवानों की छवि खराब करने के लिए जानबूझकर अपनी आवाज में जातिवादी टिप्पणी रिकॉर्ड की है.''
मणिपुर पुलिस ने आगे कहा कि ''आरएएफ बल समर्पण और ईमानदारी के साथ अपना कर्तव्य निभा रहे हैं. कथित वीडियो जवानों को बदनाम करने और हतोत्साहित करने के लिए बनाया गया है. आरएएफ कर्मी पूरे दिन और यहां तक कि रात के समय भी कानून-व्यवस्था की ड्यूटी के लिए इंफाल शहर के विभिन्न हिस्सों में तैनात रहे.''
पुलिस ने आगे सफाई देते हुए बताया ''आरएएफ कर्मी न्यूनतम बल के उपयोग और लगन से देश की सेवा कर रहे हैं और मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. आरएएफ सैनिक मणिपुर के विभिन्न अशांत क्षेत्रों में शांति, सुरक्षा और सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने में सहायक हैं.''
ये है पूरा मामला
बता दें कि मंगलवार को जुलाई में अगवा किए गए दो छात्रों की हत्या के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इंफाल घाटी में प्रदर्शनकरियों को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे गए, जिसमें 45 छात्र घायल हो गए. इसके बाद हालात से निपटने के लिए राज्य सरकार ने एक बार फिर पांच दिनों के लिए इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया है. शुक्रवार तक स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है.