Mann Ki Baat: लोकसभा चुनाव में जीत के बाद आज 30 जून पहली बार मन की बात कार्यक्रम आयोजित हुआ. मन की बात कार्यक्रम का यह 111वां एपिसोड था. कार्यक्रम में पीएम ने कहा, 'अगले महीने इस समय तक पेरिस ओलंपिक शुरू हो चुके होंगे. मुझे विश्वास है कि आप सब भी ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने का इंतज़ार कर रहे होंगे."
उन्होंने कहा, "मैं भारतीय दल को ओलंपिक खेलों की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं. हम सबके मन में टोक्यो ओलंपिक की यादें अब भी ताज़ा हैं. टोक्यो में हमारे खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने हर भारतीय का दिल जीत लिया था. टोक्यो ओलंपिक के बाद से ही हमारे एथलीट पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में जी-जान से जुटे हुए थे. सभी खिलाड़ियों को मिला दें तो इन सबने क़रीब 900 अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है. ये काफ़ी बड़ी संख्या है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है - 'एक पेड़ मां के नाम'. मैंने भी एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाया है. मैंने सभी देशवासियों से दुनिया के सभी देशों के लोगों से ये अपील की है कि अपनी मां के साथ मिलकर या उनके नाम पर एक पेड़ जरूर लगाएं और मुझे ये देखकर बहुत खुशी है कि मां की स्मृति में या उनके सम्मान में पेड़ लगाने का अभियान तेज़ी से आगे बढ़ रहा है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "इस महीने पूरी दुनिया ने 10वें योग दिवस को भरपूर उत्साह और उमंग के साथ मनाया है. मैं भी जम्मू- कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित योग कार्यक्रम में शामिल हुआ था. कश्मीर में युवाओं के साथ-साथ बहनों-बेटियों ने भी योग दिवस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. जैसे-जैसे योग दिवस का आयोजन आगे बढ़ रहा है, नए-नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. दुनिया भर में योग दिवस ने कई शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मैं आज देशवासियों को धन्यवाद भी करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है. 24 का चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था. दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ, जिसमें 65 करोड़ लोगों ने वोट डाले हैं. मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रक्रिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूं."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज 30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन 'हूल दिवस' के रूप में मनाते हैं. यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरज़ोर विरोध किया था. वीर सिद्धो-कान्हू ने हज़ारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेज़ों का जी-जान से मुकाबला किया."
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