Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज अपने सिग्नेचर रेडियो शो मन की बात (Mann Ki Baat) के 102 वें संस्करण को संबोधित किया. पीएम मोदी अगले हफ्ते अमेरिकी दौरे पर हैं इसलिए उन्होंने अपने रेडियो शो में कहा कि इस बार वो माह के आखिरी रविवार की जगह आज अपनी बात सभी श्रोताओं के सामने रख रहे हैं.
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उन्होंने कहा, आमतौर पर 'मन की बात' हर महीने के आखिरी रविवार को आपके पास आती है, लेकिन इस बार यह एक हफ्ते पहले हो रही है. अमेरिका जाने से पूर्व आपसे बात करने से बेहतर क्या हो सकता है.
पीएम मोदी ने कहा कि बहुत से लोग कहते हैं कि पीएम के रूप में मैनें कुछ अच्छा काम किया है. मन की बात के अनेकों श्रोता अपने पत्र के माध्यम से न सिर्फ कार्यों की प्रशंसा करते हैं बल्कि अच्छी तरह से किए गए कार्य का उल्लेख करते हैं.
पीएम मोदी ने बिपरजॉय चक्रवात का जिक्र करते हुए कहा कि अभी दो तीन दिन पहले हमने देखा कि देश के पश्चिमी हिस्से में कितना बड़ा चक्रवात आया...तेज हवाएं और भारी बारिश. कच्छ में चक्रवाती तूफान बिपरजॉय ने भारी तबाही मचाई है. लेकिन, कच्छ के लोगों ने जिस साहस और तैयारी के साथ इतने खतरनाक चक्रवात का मुकाबला किया, वह भी उतना ही अभूतपूर्व है.
पीएम मोदी ने कहा ‘साथियों, भारत लोकतंत्र की जननी है, Mother of Democracy है. हम, अपने लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि मानते हैं, अपने संविधान को सर्वोपरि मानते हैं, इसलिए, हम 25 जून को भी कभी भुला नहीं सकते. यह वही दिन है जब हमारे देश पर इमरजेंसी थोपी गई थी. यह भारत के इतिहास का काला दौर था.
उन्होंने कहा, कुछ दिनों पहले ही इमरजेंसी पर लिखी एक और किताब मेरे सामने आई जिसका शीर्षक है- Torture of Political Prisoners in India. मैं चाहूंगा कि आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो, देश की आजादी को खतरे में डालने वाले ऐसे अपराधों का भी जरुर अवलोकन करें.
पीएम मोदी ने कहा कि कभी दो दशक पहले आए विनाशकारी भूकंप के बाद कच्छ को कभी न उबर पाने वाला कहा जाता था… आज वही जिला देश के सबसे तेजी से विकास करने वाले जिलों में से एक है. मुझे विश्वास है कि कच्छ के लोग बिपरजॉय चक्रवात से हुई तबाही से तेजी से उभरेंगे.
पीएम मोदी ने देश को टीबी मुक्त बनाने का जिक्र करते हुए कहा, भारत ने संकल्प किया है 2025 तक टी.बी. मुक्त भारत बनाने का... लक्ष्य बहुत बड़ा ज़रूर है लेकिन असंभव नहीं है. एक समय था जब टी.बी. का पता चलने के बाद परिवार के लोग ही दूर हो जाते थे, लेकिन ये आज का समय है, जब टी.बी. के मरीज को परिवार का सदस्य बनाकर उनकी मदद