PM MODI : 31 जुलाई को एक बार फिर मन की बात कार्यक्रम के जरिये देशवासियों से रूबरू हुए. आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि ''इस बार ‘मन की बात’ बहुत खास है. इसका कारण है कि इस बार का स्वतंत्रता दिवस खास है क्योंकि भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है. हम सभी बहुत अद्भुत और ऐतिहासिक पल के गवाह बनने जा रहे हैं. इस दौरान पीएम ने कहा शहीद उधम सिंह को याद किया. पीएम ने कहा कि 31 जुलाई यानी आज ही के दिन हम सभी देशवासी, शहीद उधम सिंह जी की शहादत को नमन करते हैं. इसके अलावा उन्होने दूसरे सभी महान क्रांतिकारियों को भी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया.
पीएम ने आगे कहा कि उन्हें ये देखकर बहुत खुशी होती है कि आजादी का अमृत महोत्सव एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है. सभी क्षेत्रों और समाज के हर वर्ग के लोग इससे जुड़े और अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं. पीएम ने कहा कि 'आजादी के अमृत महोत्सव के तहत, 13 से 15 अगस्त तक एक स्पेशल मूवमेट 'हर घर तिरंगा' का आयोजन किया जा रहा है. इस मूवमेंट का हिस्सा बनकर 13 से 15 अगस्त तक, आप, अपने घर पर तिरंगा जरूर फहराएं, या उसे अपने घर पर लगायें. 2 अगस्त से 15 अगस्त तक, हम सभी, अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पिक्चर में तिरंगा लगा सकते हैं.''
मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने पिंगली वेकैंया को याद किया. उन्होंने कहा, ''2 अगस्त को पिंगली वेंकैया जी की जन्म-जयंती है जिन्होंने हमारे राष्ट्रीय ध्वज को डिजाइन किया था. मैं उन्हें, आदरपूर्वक श्रद्दांजलि अर्पित करता हूं. कोरोना के खिलाफ आयुष ने वैश्विक स्तर पर अहम भूमिका निभाई है. दुनिया में आयुर्वेद और भारतीय औषधियों के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है. हाल ही में, एक ग्लोबल आयुष इन्वेस्टमेंट और इनोवेशन समिट हुई थी. इसमें करीब 10 हजार करोड़ रुपये के इन्वेस्टमेंट प्रपोजल मिले हैं. जुलाई महीने में Indian Virtual Herbarium को लॉन्च किया गया. यह इस बात का भी उदाहरण है, कि कैसे हम डिजिटल वर्ल्ड का इस्तेमाल अपनी जड़ों से जुड़ने में कर सकते हैं.''
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किसानों की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ''शहद की मिठास हमारे किसानों का जीवन भी बदल रही है, उनकी आय भी बढ़ा रही है. शहद, न केवल हमें स्वाद देता है, बल्कि आरोग्य भी देता है. शहद उत्पादन में आज इतनी अधिक संभावनाएं हैं कि प्रोफेशनल पढ़ाई करने वाले युवा भी इसे अपना स्वरोजगार बना रहे हैं. हमारे देश में मेलों का भी बड़ा सांस्कृतिक महत्व रहा है. मेले, जन-मन दोनों को जोड़ते हैं.''