May की Heat Wave ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, सामान्य से 1.5 डिग्री सेल्सियस रही अधिक गर्म

Updated : Jun 07, 2024 19:57
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Editorji News Desk

Weather News: देश में मई में महसूस की गई लू अब तक के सबसे अधिक गर्म ग्रीष्म लहर से डेढ़ डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थी.जलवायु वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के एक स्वतंत्र समूह द्वारा एक नए अध्ययन में इसकी जानकारी दी गयी है.

‘क्लाइमामीटर’ के शोधकर्ताओं ने कहा कि मई में भारत में प्रचंड एवं लंबे समय तक चलने वाली गर्मी की लू प्राकृतिक रूप से होने वाली घटना अल नीनो प्रक्रिया का परिणाम थी.

शोधकर्ताओं ने विश्लेषण किया कि भारत की मई में उच्च तापमान जैसी घटनाएं अतीत (1979-2001) की तुलना में वर्तमान (2001-2023) में कैसे बदल गयी.
इस विश्लेषण में कहा गया है कि तापमान में बदलाव से यह पता चलता है कि इसी तरह की घटनाओं से मौजूदा जलवायु में उत्पन्न तापमान अतीत की तुलना में कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक है .वर्षा परिवर्तन में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं दिखता है.’’

‘फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च’ के डेविड फरांदा ने बताया कि क्लाइमामीटर के निष्कर्ष इस बात को रेखांकित करते हैं कि जीवाश्म ईंधन के उपयोग के कारण भारत में लू यानी तापलहर, तापमान की असहनीय सीमा तक पहुंच रही है.उन्होंने कहा, ‘‘तापमान 50 डिग्री के आस पास पहुंचने का कोई तकनीकी समाधान नहीं है.हम सब लोगों को कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने तथा उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में तापमान सीमा से अधिक पहुंचने से रोकने की दिशा में काम करना चाहिये.’’

‘नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर’ के जियानमार्को मेंगाल्डो ने कहा कि निष्कर्ष प्राकृतिक परिवर्तनशीलता और जलवायु परिवर्तन के बीच जटिल परस्पर क्रिया को दर्शाते हैं, जिसमें जलवायु परिवर्तन उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण मौसम पैटर्न परिवर्तनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो निकट भविष्य में तापलहर को काफी हद तक बढ़ा सकता है.
अल नीनो और मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के संयुक्त प्रभाव के तहत दुनिया इस तरह के गर्म मौसम का सामना कर रही है.उत्तर-पश्चिम भारत और मध्य क्षेत्र के कुछ हिस्से मई में भीषण गर्मी की चपेट में रहे और कई राज्यों में गर्मी से मौतों की सूचना मिली.

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, इस सप्ताह भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में पानी का भंडारण उनकी कुल भंडारण क्षमता का केवल 22 प्रतिशत रह गया है, जिससे कई राज्यों में पानी की कमी हो गई है और जलविद्युत उत्पादन पर भी असर पड़ा है. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई ने स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया था कि भारत में मार्च से मई तक संदिग्ध तापाघात के लगभग 25,000 मामले एवं गर्मी से संबंधित बीमारियों के कारण मौत के 56 मामले सामने आये थे.

Heat Wave

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