30 अक्टूबर 2022 को हुए गुजरात के मोरबी हादसे (Morbi bridge collapse) की जांच के लिए गठित SIT की पांच सदस्यीय टीम ने प्रारंभिक रिपोर्ट सब्मिट कर दी है, जिसमें पुल की मरम्मत, रखरखाव और संचालन में कई खामियां पाई गई हैं.
ये भी पढ़ें: Maharashtra Politics: 'तीर-धनुष का चिह्न शिवाजी के आशीर्वाद से मिला', सीएम शिंदे का उद्धव गुट पर पलटवार
रिपोर्ट के मुताबिक, जिस दिन पुल टूटा उससे पहले ही पुल की 49 केबल में से 22 तारें टूट चुकी थी. जब पुल पर लोगों की संख्या बढ़ी तो बाकी 27 तार वजन नहीं उठा पाए और टूट गए. रेनोवेशन के दौरान पुराने सस्पेंडर्स को नये के साथ वेल्डिंग करने को भी एक खामी बताया गया है. साथ ही अलग-अलग लकड़ी के तख्तों को एल्यूमीनियम डेक से बदलने के कारण इससे पुल का अपना वजन भी बढ़ गया था. ओपनिंग से पहले पुल की कोई वेट या स्ट्रक्चर टेस्टिंग नहीं की गई. इसके अलावा ,मोरबी नगर पालिका ने जनरल बोर्ड की मंजूरी के बिना ओरेवा ग्रुप (अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड) को पुल के रखरखाव और संचालन का ठेका दिया था.