2018 से 2023 के बीच अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय से आने वाले 13,600 से ज्यादा छात्रों ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) से ड्रॉपआउट किया है.
बसपा सांसद रितेश पांडेय के लोकसभा में सवाल पूछने पर जवाब देते हुए शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने इस बात का खुलासा किया है.
मंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में केंद्रीय विश्वविद्यालयों (सीयू) से 4,596 ओबीसी, 2,424 एससी और 2,622 एसटी छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी. वहीं, आईआईटी में 2,066 ओबीसी, 1,068 एससी और 408 एसटी छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी. आईआईएम में ओबीसी, एससी और एसटी छात्रों के लिए यह आंकड़ा क्रमशः 163, 188 और 91 है.
उन्होंने कहा कि 'उच्च शिक्षा के लिए छात्र अपनी परिस्थिति के अनुसार पाठ्यक्रम बदलकर किसी दूसरे संस्थान में दाखिला ले लेते हैं, या फिर सेम पाठ्यक्रम पर भी संस्थान बदल देते हैं. मुख्य रूप से छात्रों द्वारा अपनी पसंद के अन्य विभागों या संस्थानों में सीटें सुरक्षित करने ये उनका व्यक्तिगत है.'