सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सीनियर वकील मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने अटॉर्नी जनरल (Attorney General) के पद के ऑफर को ठुकरा दिया है. इसकी जानकारी रविवार को खुद मुकुल रोहतगी ने दी. हालांकि उन्होंने इस ऑफर के लिए केंद्र सरकार (Union Government) को धन्यवाद कहा. उन्होंने कहा कि उनके फैसले के पीछे कोई खास वजह नहीं है. देश के मौजूदा अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल (KK Venugopal) का कार्यकाल 30 सितंबर को पूरा हो रहा है.
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दरअसल 2014 में पहली बार मोदी सरकार (Modi government) बनने पर रोहतगी जून 2014 में अटॉर्नी जनरल नियुक्त किए गए थे. उनका कार्यकाल जून 2017 में खत्म हो गया. सरकार ने उनका कार्यकाल बढ़ाने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद वेणुगोपाल को जुलाई 2017 में इस पद पर नियुक्त किया गया था. उनका कार्यकाल 2020 में खत्म होना था, लेकिन सरकार ने उन्हें एक और कार्यकाल तक पद पर रहने के लिए कहा. हालांकि उन्हें ये भी कहा गया था कि उनका ये कार्यकाल 2 साल तक के लिए ही रहेगा. इसी साल जून में उन्हें 3 महीने के लिए एक और सेवा विस्तार दिया गया, जो 30 सितंबर को खत्म हो रहा है.
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बता दें कि भारत सरकार में अटॉर्नी जनरल का पद काफी अहम माना जाता है. मुख्य कानून सलाहकार की भूमिका निभाने वाले अटॉर्नी जनरल ही भारत सरकार को सभी कानूनी मामलों पर सलाह देता है. अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति भारत सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति (President) करते हैं.