भारतवर्ष में हर साल 14 सितंबर को 'राष्ट्रीय हिंदी दिवस' (National Hindi Day) मनाया जाता है. 14 सितंबर के दिन 1949 में संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा बनाने का फैसला किया था. इस दिन की याद में राष्ट्रीय हिंदी दिवस (Rashtriye Hindi Diwas) मनाया जाता है. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संसद भवन में 14 सितंबर 1953 को हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा देते हुए इसी दिन राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की थी.
हिंदी का जन्म दुनिया की सबसे प्राचीन 'संस्कृत भाषा' से हुआ है और संस्कृत को विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक माना जाता है.संस्कृत को आर्य भाषा भी कहा जाता है. हिंदी इसी आर्य भाषा संस्कृत की उत्तराधिकारिणी मानी जाती है. सामान्यतः प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है.
हिंदी भाषा का आरंभिक काल सातवीं-आठवीं शताब्दी से माना जाता है.इस काल में हिंदी में दोहा, चौपाई, छंद, सोरठा आदि छंदों में रचनाएँ की जाती थीं.इस काल के प्रमुख कवियों में बाणभट्ट, हर्षवर्धन, जयदेव, सूर, विद्यापति आदि हैं.
मध्यकाल में हिंदी भाषा का विकास हुआ.इस काल में हिंदी में कविता, गद्य, नाटक, आदि सभी विधाओं में रचनाएँ की जाती थीं.इस काल के प्रमुख कवियों में सूरदास, तुलसीदास, कबीर, मीरा, जायसी, रसखान, बिहारी आदि हैं.
18वीं शताब्दी के बाद हिंदी साहित्य में एक नई चेतना आई.इस काल में हिंदी में वैज्ञानिक, तकनीकी और सामाजिक विषयों पर रचनाएँ की जाने लगीं. इस काल के प्रमुख साहित्यकारों में राजा राम मोहन राय, भारतेंदु हरिश्चंद्र, स्वामी दयानंद सरस्वती, महादेवी वर्मा, निराला, प्रसाद, पंत, रवींद्रनाथ टैगोर, प्रेमचंद आदि हैं.
इसी दिन हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार ब्योहर राजेंद्र सिम्हा Beohar Rajendra Simha) का जन्मदिन भी है. श्री सिम्हा को भारत के संविधान की मूल फाइनल पांडुलिपि तैयार करने के लिए भी जाना जाता है. श्री सिम्हा के 50 वें जन्मदिन पर उन्हें सम्मानित करने के उद्देश्य से हिंदी को आधिकारिक राजभाषा के रूप में अपनाया गया.