New Parliament: जानिए किन गांवों को उजाड़ कर बना था संसद और राष्ट्रपति भवन

Updated : May 25, 2023 06:38
|
Editorji News Desk

नए संसद भवन के उद्घाटन पर सियासा बवाल मचा हुआ है. कांग्रेस, आप और टीएमसी समेत 19 विपक्षी दल इसके उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर रहे हैं. क्या आपको पता है कि नया और पुराना संसद भवन ही नहीं, राष्ट्रपति भवन (president house) भी किन गांवों को उजाड़कर बनाया गया. अंग्रेजों ने यहां के ग्रामिणों को जमीन देने का वादा कर गांव खाली करवा लिया और इस जगह पर वायसराय हाउस बनाया गया, जो अब राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है. बाद में संसद भवन भी बना और अब नया संसद भवन(parliament house) सेंट्रल विस्टा (central vista) भी बनकर तैयार है. इस पूरी जमीन पर कभी माल्चा, कुशक और रायसीना गांव (raisina village) बसा था. जहां सभी जाति और धर्म के लोग एक साथ रहते थे. तोप के दम पर जब अंग्रेजों ने इस गांव को खाली करवा लिया तो यहां के निवासी हरियाणा के सोनीपत जिले में जाकर बस गए.

 1912 में शुरू हुआ जमीन अधिग्रहण का काम

जमीन अधिग्रहण का काम 1912 में शुरू हुआ था.  उस वक्त भारत पर अंग्रेजों की हुकूमत थी. 1911 में किंग जॉर्ज ने घोषणा की, और नाटकीय ढंग से भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली लाया गया. इस स्थान पर 300 परिवार रहते थे जिन्हें रायसीना गांव के नाम से जाना जाता था. सरकार ने इन रायसीना परिवारों के जमीन का अधिग्रहण कर लिया. महल के निर्माण के लिए इन गांव को हटा दिया गया था. करीब 4000 एकड़ जमीन पर राष्ट्रपति भवन बना हुआ है.

तोप के दम पर खाली कराया गया थाबताया जाता है कि अंग्रेजों ने जबरदस्ती जमीन खाली कराई और लोगों को डराने के लिए उन्होंने गांव के चारों तरफ तोप खड़ी कर दी, जिससे डरकर लोगों ने गांव छोड़ दिया. डर का आलम यह था कि लोग रातों-रात बैलगाड़ियों पर सवार होकर गांव से निकल गए. अंग्रेजों ने मुआवजे के रूप में जमीनदारों को कुछ रकम भी दी थी, लेकिन आम लोगों को आजकत कुछ नहीं मिला.

हरियाण में बसा है अब मालचा गांव

वर्तमान में हरियाणा में सोनीपत  से चार किलोमीटर की दूरी पर मालचा नाम से एक गांव बसा है, जो यहां से भागकर गए लोगों ने बसाया था. इसके अलावा लोग कुरुक्षेत्र व दिल्ली के अलीपुर के पास भी बस गए थे. जो अब कुशक गांव है. गांव को उजाड़ने से पहले अंग्रेजों ने गांव के बुजुर्गो व जमींदारों से वादा किया था कि उन्हें वर्तमान पाकिस्तान के मिटगुमरी और झज्जर जिला के छुछकवास में बसाया जाएगा. लेकिन उजाड़ने के बाद उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया.

बहादुरशाह जफर को मिली थी पनाह


1857 की क्रांति का दमन करते हुए जब अंग्रेजों ने  लाल किले को घेर लिया था तो मुगल बादशाह (mughal empire)  बहादुरशाह जफर (bahadurshah zafar)  बचते-बचाते मालचा गांव पहुंचे थे. जहां बुजुर्गो ने पगड़ी पहनाकर उनके साथ संघर्ष की शपथ ली थी. उस समय 360 गांव की पंचायत पालम गांव के अंतर्गत आती थी. पंचायत ने अपने बादशाह का साथ देने का वादा किया था. कहा जाता है कि उसी वक्त बादशाह को अंदाजा लग गया था कि अब भविष्य में क्या होने वाला है. 

यह गांव था महाराजा जोधपुर की रियासत

आपको बता दें कि यह गांव किसी समय महाराजा जोधपुर की रियासत था. पुराना जयपुर रोड इस गांव के पास से गुजरता था. इस गांव में समस्त बिरादरी निवास करती थीं, जिसमें ब्राहमण, मुस्लिम, जाट, सैनी आदि खेती करते थे, जबकि हरिजन, लोहार, सुनार, मनियार, कुम्हार आदि अपने पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े थे.


काफी दूर तक फैली थी सीमाएं


कहा जाता है कि मालचा गांव की सीमाएं और उनकी जमीनें पहाड़गंज से लेकर चाणक्यपुरी तक फैली थीं. चाणक्यपुरी क्षेत्र (chankyapuri area) में एक सड़क का नाम भी मालचा गांव के नाम पर है. मुआवजे के लिए दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट (tishajari court) में मुकदमा भी चला, लेकिन अभीतक कोई हल नहीं निकला.

Central Vista

Recommended For You

editorji | भारत

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में दर्दनाक हादसा! कुएं में जहरीली गैस के रिसाव से पांच लोगों की मौत

editorji | भारत

Arvind Kejriwal Arrest: CM केजरीवाल के मामले में दिल्ली HC का CBI को नोटिस, कब होगी अगली सुनवाई?

editorji | भारत

Noida के Logix Mall में आग लगने की वजह से मची चीख-पुकार, देखें हाहाकारी VIDEO

editorji | भारत

Paris 2024 Olympics: PM मोदी ने खिलाड़ियों से की बात, दिया ये खास मंत्र

editorji | भारत

Amritpal Singh: अमृतपाल सिंह को शपथ ग्रहण के लिए दिल्ली ले जाया जाएगा, कैसी है पंजाब पुलिस की तैयारी?