Sudan Crisis: सूडान में जारी हिंसा के बीच भारत ने ऑपरेशन कावेरी (Operation Kaveri) के तहत तकरीबन 780 भारतीयों को बाहर (Indians stranded in Sudan) निकला है. इनमे से 360 नागरिकों का पहला जत्था गुरुवार सुबह राजधानी दिल्ली पंहुचा. विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने बताया कि 246 नागरिकों को लेकर नौसेना का एक अन्य विमान दोपहर बाद मुंबई पंहुचा है. सूडान से लौटे भारतीय नागरिकों ने वतन वापस आकर अपनी आपबीती सुनाई. वे सभी अभी भी डरे हुए हैं. आइये जानतें है स्वदेश लौटे इन लोगों से उनकी कहानी उन्ही की जुबानी.
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हरियाणा के रहने वाले सुखविंदर सिंह दिल्ली लौटने वाले भारतीय नागरिकों में शामिल थे. उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से कहा कि वे अब भी बहुत डरे हुए हैं. हम एक इलाके तक सिमटकर रह गए थे. हम एक कमरे तक ही सीमित थे. ये ऐसा था, मानो हम मृत्युशय्या पर हों. सूडान से बाहर निकाले जाने की पूरी प्रक्रिया पर सुखविंदर ने कहा कि '200 लोगों से भरी बस की सूडान पोर्ट पहुंचने की यात्रा बहुत जोखिम भरी थी. हमने भारतीय दूतावास से संपर्क किया और लगभग 200 लोगों के लिए बसों की व्यवस्था की गई. ये सड़क यात्रा बहुत जोखिम भरी थी. केवल भगवान ही जानता है कि हम पोर्ट सूडान कैसे पहुंचे. उन्होंने कहा कि युद्धरत समूह अपने मूड के आधार पर किसी को भी गोली मार सकते थे. जब हमने कहा कि हम भारतीय हैं, तो उन्होंने हमें जाने दिया.
एक अन्य महिला ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि 'हम सूडान में रेडियो स्टेशन के पास रहते थे. जहां लगातार फायरिंग होती रहती थी. रोजाना मिसाइल दागे जा रहें हैं. मानो हम जैसे मौत के मुंह से बाहर आए हों'