संसद को देश की सबसे बड़ी पंचायत (biggest panchayat) कहा जाता है...पक्ष-विपक्ष दोनों मिलकर यहां देश की तकदीर और उसे चलाने की तदबीर पर फैसला करते हैं, लेकिन मौजूदा समय में इसी संसद की नई इमारत (new parliament building) को लेकर विवाद चरम पर है...सत्ता पक्ष (ruling party) और विपक्ष (Opposition) ने इसे नाक का सवाल बना लिया है...ऐसे में हम आपको बताते हैं विवाद क्या है, नई संसद की जरूरत क्यों हैं और आगे क्या बदल जाएगा?
सबसे पहले बात विवाद की..दरअसल 5 अगस्त 2019 को मौजूदा संसद के दोनों सदनों ने नई संसद को बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई. जिसके बाद 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने इसका शिलान्यास किया. विवाद तभी से शुरू हुआ. विपक्ष ने तो पहले नए अशोक स्तंभ पर सवाल उठाया और फिर पूरे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Project) को लेकर ही सवाल खड़े कर दिए गए. मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक पहुंचा.
सर्वोच्च अदालत ने जब इस पर मुहर लगाई तभी काम आगे बढ़ सका. लेकिन इस विवाद की वजह से औऱ दूसरे अतिरिक्त कामों की वजह से इसकी लागत 861 करोड़ रुपये से बढ़कर 1200 करोड़ रुपये हो गई. मौजूदा समय में विरोध की मुहिम कांग्रेस (Congress) ने शुरू की और देखते-देखते 21 विपक्षी दल इसमें जुड़ गए. इनकी दो आपत्तियां है. पहली तो भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से क्यों नहीं कराया जा रहा है. विपक्ष उन्हें संवैधानिक प्रमुख बता कर उनसे से उद्घाटन की मांग पर कायम है..
दूसरी वजह है 28 मई की तारीख. दरअसल 28 मई विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) का जन्म दिवस होता है. विपक्षी पार्टियां आजादी की लड़ाई में उनके योगदान पर सवाल उठाती हैं. बहरहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा. लेकिन सर्वोच्च अदालत ने याचिका को ही खारिज कर दिया. फिलहाल सरकार के साथ 25 दल खड़े बताए जा रहे हैं.
अब ये भी जान लेते हैं कि नए संसद भवन की जरूरत क्यों हैं?
नया संसद भवन जरूरी क्यों है?
पुरानी इमारत करीब 97 साल पुरानी हो चुकी है
सेंट्रल हॉल में अधिकतम 436 लोग बैठ सकते हैं
लोकसभा में अधिकतम 552 लोग ही बैठ सकते हैं
संयुक्त सत्र के लिए लगानी पड़ती हैं 200 अतिरिक्त सीटें
मंत्रियों के कार्यालय में मेक-शिफ्ट के आधार पर काम होता है
बिजली और सुरक्षा के सारे इंतजाम पुराने पड़ चुके हैं
पुराना संसद भवन भूकंप के लिए बिल्कुल भी सेफ नहीं
आग लगने की स्थिति में आधुनिक सुविधाओं का अभाव
पानी की सप्लाई लाइनों, सीवर लाइनें पुरानी पड़ीं
परिसीमन की वजह से लोकसभा की सीटें बढ़ाई जानी है
नई संसद भवन की ये जरूरतें खुद सरकार ने गिनाईं हैं...खास बात ये है कि यूपीए सरकार के दौरान कांग्रेस नई इमारत की जरूरत की बात कह चुकी है...बहरहाल है देश की बढ़ती जरूरतों की वजह से नई संसद की जरूरत पर तो सभी दल सहमत हैं लेकिन अपनी-अपनी सियासत ने देश की तमाम दलों को इस मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष में खड़ा कर दिया है और फिलहाल देश की जनता मूक दर्शक बन सबकुछ देखने को मजबूर दिखाई दे रही है.