Today in History 15 June : 14 जून 1947 की दोपहर को कांग्रेस का अधिवेशन हो रहा था. तभी यूपी के गांधी कहे जाने वाले पुरुषोत्तम दास टंडन ( Purushottam Das Tandon ) खड़े हुए और कहा- भारत और पाकिस्तान के बंटवारे ( Partition of India ) का जो प्लान माउंटबेटन ( Louis Mountbatten ) ने पेश किया है उससे कोई स्थाई शांति नहीं आ पाएगी. जो मुस्लिम हैं वो भारत में खौफ में रहेंगे और जो हिंदू हैं वो पाकिस्तान में खौफ में रहेंगे. मुझे अंग्रेजों की गुलामी तो स्वीकार है लेकिन देश का बंटवारा कतई स्वीकार नहीं है. अब के हालात में टंडन की बात कितनी सही है इसका आंकलन आप करें...लेकिन आज की तारीख का संबंध उसी अहम दिन से है जब कांग्रेस ने भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे की योजना को मंजूरी दी थी और वो तारीख थी 15 जून 1947.
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दरअसल, भारत के अंतिम अंग्रेज गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत-पाकिस्तान के बंटवारे का प्लान पेश किया था..इसे माउंटबेटन प्लान या 3 जून प्लान भी कहा जाता है...इस प्लान के बारे में अगर आप और जानना चाहते हैं तो आप झरोखा के तीन जून के अंक को देख सकते हैं...जिसका लिंक इस अंक के डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा. खैर हम लौट कर आते हैं आज के अपने मूल विषय पर.
इसी 3 जून के प्लान पर कांग्रेस ने 14 और 15 जून 1947 को दिल्ली में अपने बड़े नेताओं का एक अधिवेशन बुलाया...क्योंकि माउंटबेटन प्लान को अमलीजामा पहनाए जाने के लिए कांग्रेस की मंजूरी जरूरी थी. यहां ये भी गौर करने वाली बात है कि ये बैठक जिन हालातों में हो रही थी उसमें कांग्रेस के पास इसे मंजूर करने के अलावा और कोई चारा भी नहीं था...
हालात को समझने के लिए आपको एक साल पहले ले चलते हैं...साल 1946 को प्रांतीय असेंबलियों के लिए चुनाव हुए...जिसमें कांग्रेस को 923 और मुस्लिम लीग को 425 सीटें मिलीं. मुस्लिम लीग को पंजाब और बंगाल में अच्छी खासी सीटें मिलीं. इन नतीजों के बाद पाकिस्तान की मांग और तेज हो गई...हिंदू कट्टरपंथी भी बंटवारे की हिमायत करने लगे. ऐसी स्थिति में महात्मा गांधी ने नया प्रस्ताव पेश किया.
5 अप्रैल 1947 को गांधी ने लॉर्ड माउंटबेटन को पत्र लिखकर कहा कि वो जिन्ना को भारत का प्रधानमंत्री बनाने के लिए तैयार हैं लेकिन भारत का विभाजन नहीं किया जाए. लेकिन खुद जिन्ना ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. जानकारों का कहना है कि जिन्ना ये सोच रहे थे कि अभी तो वो प्रधानमंत्री बन जाएंगे लेकिन अंग्रेजों के जाने के बाद हिंदू बहुसंख्यक चुनावों में उन्हें वोट नहीं देंगे. ऐसे में सत्ता वापस हिंदुओं के हाथ में चली जाएगी. लिहाजा अलग देश से ही मुस्लिमों के हितों की रक्षा होगी. जिन्ना बार-बार डायरेक्ट एक्शन की धमकी भी देने लगे...देश में कई जगहों पर सांप्रदायिक दंगों की खबरें आने लगीं.
बहरहाल, हम बैठक की बात लौटते हैं...जिसकी अध्यक्षता डॉ राजेन्द्र प्रसाद ( Dr. Rajendra Prasad ) कर रहे थे. बैठक में सबसे पहले मशहूर गांधीवादी नेता गोविंद वल्लभ पंत ( Govind Ballabh Pant ) ने कहा- कांग्रेस पहले तो मुस्लिम लीग को ढील देती चली गई कि शायद वो संविधान सभा में आ जाएंगे..पर इससे हमें मिला क्या- दंगे, लूटमार, हत्या और आगजनी. अब तो एकमात्र रास्ता यही बचा है कि हम माउंटबेटेन प्लान को अपनी मंजूरी दे दें.
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मौलाना आजाद ( Maulana Abul Kalam Azad ) ने कहा- मुझे नहीं लगता कि ये फैसला सही है...लेकिन शायद अब हमारे पास कोई चारा ही नहीं है. इंशाअल्लाह ये बंटवारा चंद दिनों की ही बात होगी. जल्द ही हम फिर से एक हो जाएंगे.
सीमांत गांधी कहे जाने वाले अब्दुल गफ्फार खां ( Abdul Ghaffar Khan ) ने इस प्रस्ताव को धोखा करार दिया..लेकिन अंत में जब मतदान हुआ तो नतीजे कुछ इस प्रकार आए. 3 जून प्लान के समर्थन में 157 वोट, विपक्ष में 29 वोट और 32 प्रतिनिधियों ने वोट ही नहीं डाला. इसके साथ ही भारत-पाकिस्तान के बंटवारे पर मुहर लग गई. जब देश का बंटवारा हुआ तब संयुक्त भारत की आबादी करीब 40 करोड़ थी. 12 करोड़ लोगों को इधर-उधर होना पड़ा.
BBC के मुताबिक सांप्रदायिक हिंसा में अंदाजन 5-10 लाख लोग मारे गए थे. बंटवारे का नक्शा तैयार करने वाले रेडक्लिफ ने कहा- 8 करोड़ लोग शिकायत लेकर मुझे ढूंढ रहे हैं, मैं उनका सामना नहीं करना चाहता. कई जानकार ये भी कहते हैं- भारत को आजादी बंटवारे की कीमत पर मिली थी.
चलते-चलते आज की तारीख में हुई दूसरी अहम घटनाओं पर भी निगाह डाल लेते हैं.
1896: जापान में विनाशकारी भूकंप और उसके बाद उठी सुनामी ने 22,000 लोगों की जान ले ली
1908: कलकत्ता शेयर बाज़ार की शुरुआत हुई
1997 : आठ मुस्लिम देशों द्वारा इस्तांबुल में डी-8 नामक संगठन का गठन
2006: भारत और चीन ने पुराना सिल्क रूट खोलने का निर्णय लिया