हीरा बा...हीराबेन...या यूं कहें देश के सबसे बड़े प्रशासनिक पद पर बैठे शख्स यानी प्रधानमंत्री की मां (Prime Minister's mother) ने शुक्रवार सुबह-सुबह अपनी आखिरी सांस ली. शतायु होने के बाद उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा. सौ साल की हीरा बा (Hiraben) ने जिस तरह से जीवन जीया उसके उदाहरण विरले ही मिलते हैं. उनकी कहानी जानने के लिए हम शुरू से शुरू करते हैं.
हीरा बा (Heera Ba) का जन्म नाना के घर में हुआ था. इसे नियति की क्रूरता ही कहें कि उनके जन्म के 6 महीने बाद उनकी नानी का निधन हो गया. नाना ने दूसरी शादी की, उनसे भी बच्चे हुए. लेकिन नाना की दूसरी पत्नी का भी निधन हो गया. फिर उन्होंने तीसरी शादी की. उनसे भी बच्चे हुए. प्रह्राद मोदी (Prhlad Modi) बताते हैं कि उन सभी के पालन-पोषण का जिम्मा छोटी सी उम्र में हीरा बा पर ही आ गया था. मतलब ये कि अपनी छह संतानों के साथ-साथ एक भरे-पूरे परिवार का पालन अकेले हीरा बा ने ही किया. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. खुद नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) बताते हैं कि पैसों के लिए उनकी मां ने दूसरे के घरों में बरतन धोने का भी काम किया.
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इसी संघर्ष में जीवन बीता, जिसका गहरा असर नरेन्द्र मोदी पर पड़ा. कहा जा सकता है, आग में तप पर सोना कुंदन बनता है. हीरा बा की इसी तपस्या का परिणाम है कि देश को नरेन्द्र मोदी जैसा शख्स मिला. खुद अनपढ़ रहीं हीरा ने देश की कूटनीतिक सियासत को भी प्रभावित किया.
याद कीजिए जब पाकिस्तान (Pakistan) के PM नवाज शरीफ ने हीराबेन के लिए साड़ी भेजी थी, तो दोनों देशों की दोस्ती में एक नया अध्याय ही लिखा गया था. बहरहाल हीराबेन (Heeraben) के निधन के साथ पीएम मोदी की जिंदगी का एक भावुक अध्याय बंद हो गया है. वो अध्याय जहां एक संतान मां की आंचल में लिपटकर अलौकिक ममता को महसूस करता है.
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