Atal Bihari Vajpayee: जब राजीव गांधी ने उड़ाया वाजपेयी का मजाक! 1984 का चुनावी किस्सा | Jharokha 16 Aug

Updated : Aug 17, 2022 20:41
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Editorji News Desk

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के बारे में यह बात कम ही लोग जानते हैं... 1984 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की हत्या कर दी गई थी.. उनके बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने और भारत में फिर चुनाव की घड़ी आई... तब बीजेपी अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी अपने गृहनगर ग्वालियर से चुनाव लड़ रहे थे.

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विजयराजे सिंधिया कर रही थीं अटल का समर्थन

ग्वालियर की पूर्व महारानी राजमाता विजयराजे सिंधिया (Rajmata Vijayaraje Scindia) वाजपेयी का समर्थन कर रही थीं. नॉमिनेशन के आखिरी दिन तक उनकी जीत लगभग तय थी. कांग्रेस ने राजमाता के बेटे माधव राव को अपना उम्मीदवार बनाया है. ऐन मौके पर वाजपेयी ने पड़ोसी सीट भिंड से नामांकन दाखिल करना चाहा लेकिन ऐसा करने में उन्हें देर हो गई. आखिरकार वाजपेयी 1.65 लाख वोटों के अंतर से ग्वालियर हार गए...

आज हम वाजपेयी की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि साल 2018 में 16 अगस्त के ही दिन उनका निधन हुआ था... आज झरोखा में हम जानेंगे अटलजी के बारे में जिन्होंने न सिर्फ भारत में गैर कांग्रेसी सरकार बनाई बल्कि उन्हीं की सरकार पहली ऐसी सरकार बनी जिसने अपना कार्यकाल पूरा भी किया...

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1984 में BJP ने सिर्फ 2 ही सीटें जीतीं

1984 में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने सिर्फ 2 ही सीटें जीती थीं... पार्टी ने आंध्र और गुजरात से एक एक सीटें जीती थीं. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) ने बीजेपी का मजाक उड़ाते हुए कहा था- हम दो, हमारे दो...

यह तब परिवार नियोजन का बड़ा नारा था... वाजपेयी को भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था... वह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे... बीजेपी की बड़ी पराजय के बाद वाजपेयी की खुद की हार उनके लिए दोहरी चोट थी. उन्होंने पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने का प्रस्ताव दिया... यह वह घड़ी थी जब ऐसा लगा कि वाजपेयी की राजनीतिक पारी का यहां अंत हो रहा हो...

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आज हम वाजपेयी की मनः स्थिति को इन कविताओं से समझ सकते हैं:

हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,

काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं

गीत नया गाता हूं

आडवाणी की रथ यात्रा ने बदल दी BJP की तकदीर

राजनीति में एक हफ्ते का वक्त भी लंबा होता है. और 11 साल तो बहुत ही लंबा वक्त होता है. यहां कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता है.... नवंबर 1995 में, पत्रकार मिलिंद खांडेकर मुंबई के महालक्ष्मी रेस कोर्स में आजतक टीवी चैनल के लिए बीजेपी सेशन को कवर कर रहे थे. अयोध्या आंदोलन के बाद से बीजेपी का ग्राफ लगातार बढ़ रहा था.

बीजेपी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा ने पार्टी की तकदीर बदलकर रख दी थी. 1991 में बीजेपी ने 120 सीटें जीती. बीजेपी ने गुजरात और महाराष्ट्र में सरकार बनाई. आडवाणी अपनी लोकप्रियता के चरम पर पहुंच गए, आडवाणी और वाजपेयी के बीच प्रतिद्वंद्विता की खबर भी आई लेकिन सार्वजनिक रूप से इसे कभी स्वीकार नहीं किया गया था.

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दोनों के बीच प्रतिद्वंद्विता हमेशा खबरों में रही... यह बाद में तब दिखाई दिया, जब वाजपेयी पीएम बने और आडवाणी डिप्टी पीएम, लेकिन आडवाणी ने अटल बिहारी वाजपेयी का नाम बीजेपी के पीएम उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित करके सभी को चौंका दिया था... चुनाव से पहले किसी पार्टी द्वारा पीएम उम्मीदवार की घोषणा करने का यह पहला उदाहरण था... 

1996 में BJP 161 सीटों पर पहुंच गई

1996 के आम चुनाव में बीजेपी ने 161 सीटें जीती. अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया. यह केंद्र में बीजेपी की पहली सरकार थी. यह सरकार केवल 13 दिन चली क्योंकि वाजपेयी बहुमत साबित नहीं कर सके... हालांकि उन्होंने कभी हार नहीं मानी..

1997 में सदन में बाद में एक बहस में, उन्होंने कांग्रेस पार्टी से कहा, "मेरे शब्दों को नोट कर लें, आज आप लोग (कांग्रेस) कम सांसद/विधायक होने के लिए हम पर हंस रहे हैं लेकिन वह दिन आएगा जब भारत में हमारी सरकार होगी... सबसे ज्यादा सांसद/विधायक वाली पार्टी बीजेपी बनेगी, उस दिन इस देश के लोग आप पर हंसेंगे और आपका मजाक उड़ाएंगे...

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2014 में, इसी पार्टी ने जिसका मजाक कभी कांग्रेस ने "हम दो हमारे दो" कहकर उड़ाया था... उसकी ऐसी आंधी आई कि कांग्रेस का किला ही ध्वस्त हो गया. भारत के इतिहास में पहली बार कांग्रेस की 44 सीटें आई. यहां एक बात और जाननी होगी कि वाजपेयी कभी छद्म राजनीति के हिमायती नहीं रहे... उन्होंने लोकतांत्रिक भाषा में ही विरोधियों पर हमला किया.

चलते चलते आज की दूसरी घटनाओं पर एक नजर डाल लेते हैं

1906 - दक्षिण अमेरिकी देश चिली में 8.6 की तीव्रता का भूकंप, 20 हजार लोगों की मौत

1904 - सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) - स्वतंत्रता सेनानी, कवयित्री, कहानीकार

1970 - बॉलीवुड ऐक्टर सैफ़ अली ख़ान (Saif Ali Khan) और मनीषा कोइराला (Manisha Koirala) का जन्म

1997 - पाकिस्तानी गायक नुसरत फ़तेह अली ख़ान (Nusrat Fateh Ali Khan) का निधन 

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