दो साल से जेल में बंद समाजवादी पार्टी के बड़े नेता आजम खान (Azam Khan) की रिहाई का रास्ता अब साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उन्हें अंतरिम जमानत (interim bail) दे दी है. टॉप कोर्ट से आजम को जमीन पर कब्जे और ठगी के 89 वें मामले में राहत मिली है.
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अदालत ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि आजम की जमानत की शर्तें ट्रायल कोर्ट तय करेगा और सामान्य जमानत के लिए उन्हें समुचित और सक्षम अदालत में दो हफ्ते के भीतर अर्जी देनी होगी. ट्रायल कोर्ट से आजम को रेगुलर बेल मिलने तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश ही लागू रहेगा. आजम की अंतरिम जमानत के लिए जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बी आर गवई और ए एस बोपन्ना की बेंच ने संविधान के तहत मिली विशेष शक्ति का इस्तेमाल किया.
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इससे पहले टॉप कोर्ट ने कहा था कि आजम को एक केस में बेल मिलते ही नया मामला दर्ज हो जाता है जिसपर पलटवार करते हुए यूपी सरकार ने आजम को आदतन अपराधी और भू माफिया बताया. दरअसल, आजम खान की रिहाई से पहले ही फर्जी दस्तावेजों के जरिए तीन स्कूलों को मान्यता दिलाने से जुडे केस का वारंट सीतापुर जेल पहुंचा जिसके बाद कोर्ट ने यूपी सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए. जमानत पर सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि किसी पर एक-दो मुकदमे दर्ज हों तो समझ में आता है लेकिन यहां 89 केस दर्ज किए गए हैं जिनके चलते एक व्यक्ति दो साल से जेल में बंद है.
सख्त लहजे में अदालत ने कहा कि जब सब केसों में आजम को जमानत मिली है तो नया केस कैसे दर्ज हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने पांच महीने से आजम की जमानत पर आदेश ना आने को न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बताते हुए नाराजगी भी जताई. दरअसल, आजम को पहले के सभी मामलों में जमानत मिली थी लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शत्रु संपत्ति से जुड़े मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. आजम के वकील कपिल सिब्बल ने भी आजम को जेल में रखे जाने को क्रूरता बताया और कहा था कि उनके मुवक्किल यूपी सरकार के राजनीतिक द्वेष का शिकार हैं.