Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव (chhattisgarh election) से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय (Nandkumar Sai) ने बीजेपी का दामन छोड़, हाथ का साथ (Nand kumar sai Jjoin congress) अपना लिया है. पार्टी छोड़ने से पहले साय ने 1 पन्ने का इस्तीफा दिया था और अपना फोन स्विच ऑफ कर दिया था, ताकि कोई भी बड़े नेता उनसे संपर्क न साध पाएं.
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बता दें नंदकुमार साय की पहचान संयुक्त मध्यप्रदेश प्रान्त और बाद में छत्तीसगढ़ में बीजेपी के सबसे बड़े आदिवासी चेहरे (adivasi voters in chhattisgarh,) के रूप में रही है. साय 3 बार विधानसभा के सदस्य, 3 बार लोकसभा के सदस्य और 2 बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. मालूम हो कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद नंदकुमार विधानसभा में नेता विपक्ष भी रह चुके हैं.
साय के बीजेपी छोड़ने और कांग्रेस में शामिल होने से साफ है कि छत्तीसगढ़ बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. इसके अलावा साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने को हैं ऐसे में इसे बड़ी उलटफेर के रूप में भी देखा जा सकता है.
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मालूम हो कि 30 अप्रैल को छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 100वें एपीसोड से पहले साय ने पार्टी से किनारा कर लिया था. उन्होंने एक पन्ने का इस्तीफा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साय (BJP state president Arun Sai) को भेज दिया. अरुण साय तक पहुंचने से पहले यह पत्र सोशल मीडिया में वायरल होने लगा. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस्तीफे का पत्र ट्वीट किया और लिखा- नंदकुमार साय के साथ आदिवासियों ने भी मन की बात कह दी.
साय के इस्तीफे की खबर सुनते ही बीजेपी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, प्रदेश महासचिव पवन साय, मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी रायपुर स्थित उनके घर पहुंचे. तीनों नेताओं ने जब परिवार से नंदकुमार के बारे में पूछा तो पता चला कि घर पर नहीं हैं. बाद में उनका फोन भी स्विच ऑफ आने लगा. इसके बाद सभी नेता घर पर ही इंतजार करने लगे. बीजेपी के इन तीनों नेताओं ने करीब ढाई घंटे तक नंदकुमार साय का इंतजार किया, लेकिन वे नहीं आए.