Citizenship Amendment Act: लोकसभा चुनाव है इसलिए चल रहा है  CAA पर 'खेला'- संजय राउत 

Updated : Mar 11, 2024 21:14
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Editorji News Desk

Citizenship Amendment Act: केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की अधिसूचना जारी करने पर शिवसेना(UBT) सांसद संजय राउत ने कहा, "...ये उनका(भाजपा) आखिरी खेल चल रहा है। चलने दो, लागू होने दो... वे लोग ये खेल करते रहते हैं... जब तक चुनाव है तब तक वे CAA-CAA खेलेंगे, खेलने दो।"

सीएए देशभर में लागू हो गयी है. केन्द्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.  करीब 5 साल पहले सीएए को संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया था. अब गृह मंत्रालय की तरफ से  नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. सीएए को भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया था. जिसमें 125 वोट इसके पक्ष में पड़े थे जबकि 105 वोट इसके खिलाफ थे. राष्ट्रपति द्वारा इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी भी दे दी गई थी.

केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सोमवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए)-2019 को लागू करने की घोषणा की। विवादास्पद कानून को पारित किये जाने के चार साल बाद केंद्र के इस कदम के कारण पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने का रास्ता साफ हो गया है।

लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की संभावित घोषणा के पहले ही सीएए से जुड़े नियमों को अधिसूचित कर दिया गया।

सीएए के नियम जारी हो जाने के साथ ही अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार इन तीन देशों के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी।

सीएए को दिसंबर, 2019 में संसद में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी। लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे।

यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका था क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अब तक अधिसूचित किया जाना बाकी था।

गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा,‘‘नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 कहे जाने वाले ये नियम सीएए-2019 के तहत पात्र व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाएंगे।’’

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘आवेदन पूरी तरह से ऑनलाइन मोड में जमा किए जाएंगे जिसके लिए एक वेब पोर्टल उपलब्ध कराया गया है।’’ एक अधिकारी ने कहा कि आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नियमों को अधिसूचित करने का समय स्पष्ट रूप से आगामी लोकसभा चुनावों, खासकर पश्चिम बंगाल और असम में, ध्रुवीकरण करने के लिहाज से तय किया गया है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि चुनावी बॉण्ड के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय की सख्ती के बाद यह घोषणा ‘सुर्खियां बटोरने’ का एक और प्रयास है।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘नियमों की अधिसूचना जारी करने के लिए नौ बार अवधि में विस्तार की मांग करने के बाद चुनाव से ठीक पहले का समय स्पष्ट रूप से चुनावों में ध्रुवीकरण करने के लिए तय किया गया है, खासकर पश्चिम बंगाल और असम में।’’ केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सीएए को सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी कानून बताया और कहा कि इसे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा।

संसदीय कार्य नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की मंजूरी के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए अन्यथा सरकार को लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान समितियों से अवधि में विस्तार करने की मांग करनी होगी।

वर्ष 2020 से गृह मंत्रालय नियम बनाने के लिए संसदीय समिति से नियमित अंतराल पर अवधि में विस्तार प्राप्त करता रहा है। गृह मंत्रालय ने आवेदकों की सुविधा के लिए एक पोर्टल तैयार किया है क्योंकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी।

इसके पहले सीएए विरोधी प्रदर्शनों या पुलिस कार्रवाई के दौरान 100 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 27 दिसंबर, 2023 को कहा था कि सीएए को लागू होने से कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है।

इस बीच, पिछले दो वर्षों में नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला अधिकारियों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम-1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्ति दी गई हैं

गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, एक अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक इन तीन देशों के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई।

वे नौ राज्य जहां पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत भारतीय नागरिकता दी जाती है उनमें गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र शामिल हैं।

असम और पश्चिम बंगाल में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील है और सरकार ने इन दोनों राज्यों में से किसी भी जिले के अधिकारियों को अब तक नागरिकता प्रदान करने की शक्ति नहीं प्रदान की है

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