कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के विरोधी आज भले ही उनकी राजनीतिक सूझबूझ को लेकर सवाल खड़े करते हों, लेकिन उनकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) सिर्फ 14 साल की उम्र ही में उन्हें परिपक्व मानती थीं और उनके ‘साहस एवं दृढ़ संकल्प’ की कायल थीं. इस बात का खुलासा वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई (Rashid Kidvai) की नई किताब ''लीडर, पॉलिटीशियन्स, सिटिजन्स'' में किया गया है.
पुस्तक में दावा किया है कि जब राहुल गांधी 14 साल के थे तब इंदिरा गांधी उनसे उन सभी विषयों पर चर्चा करती थीं जिन पर वह अपने बड़े पुत्र राजीव गांधी एवं पुत्रवधू सोनिया गांधी से बात करने से बचती थीं.
किदवई लिखते हैं, ''31 अक्टूबर 1984 की सुबह, इंदिरा गांधी ने अपने पोते राहुल और पोती प्रियंका को स्कूल जाने से पहले ही अलविदा कहा. प्रियंका गांधी, जो उस समय 12 वर्ष की थीं, प्रियंका ने बाद में बताया कि उस दिन उनकी दादी ने उन्हें सामान्य से ज्यादा देर तक अपने साथ रखा था. वह फिर राहुल के पास गई थीं. ’’
उन्होंने लिखा है ‘‘इंदिरा गांधी के दिमाग में मौत का ख्याल बहुत पहले से था. राहुल की ओर मुड़कर उन्होंने उनसे 'जिम्मेदारी संभालने', उनकी मृत्यु पर नहीं रोने के लिए कहा था. यह पहली बार नहीं था जब इंदिरा ने अपने पोते से मौत के बारे में बात की थी. ’’ लेखक के अनुसार, कुछ दिन पहले ही इंदिरा ने राहुल को अंतिम संस्कार की व्यवस्था के बारे में बताया था.
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