Manipur Violence: कांग्रेस से जुड़े शिक्षकों ने बुधवार को घोषणा की कि वो मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 'चुप्पी' को लेकर 30 जून को होने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के उनके दौरे का बहिष्कार करेंगे. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे.
एक बयान में, भारतीय राष्ट्रीय शिक्षक कांग्रेस (INTEC) ने कहा कि मोदी ने मणिपुर पर एक भी शब्द नहीं बोला है, जहां करीब दो महीने से रुक-रुक कर हिंसा हो रही है. शिक्षकों ने कहा, 'मणिपुर संकट और दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों की समस्याओं के प्रति भारत सरकार के उदासीन रवैये के विरोध में आईएनटीईसी ने प्रधानमंत्री के दौरे का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.'
शिक्षकों ने आरोप लगाया कि मणिपुर के कई विद्यार्थी और शिक्षक मौजूदा संकट से मानसिक रूप से परेशान हैं और डीयू प्रशासन अन्य लोगों की तरह मूक दर्शक बनकर देख रहा है.
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बयान में कहा गया है कि- 'हमारे प्रधानमंत्री ने मणिपुर के गहराते संकट पर एक शब्द भी नहीं बोला है. मणिपुर में कुकी और मेइती समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के कारण मानव अस्तित्व और अस्तित्व के संकट का सबसे बुरा परिणाम मानव जीवन की हानि है. यह लगभग दो महीने से चल रहा है.'
इसमें कहा गया है कि लगभग दो महीने से स्कूल और कॉलेज बंद रहने और राज्य में कोई प्रतियोगी परीक्षा आयोजित नहीं होने से शिक्षा क्षेत्र को भी नुकसान हुआ है. 'हालात सामान्य होने के फिलहाल आसार नहीं हैं.'
गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों में हुए जातीय संघर्ष में अब तक करीब 120 लोगों की मौत हो चुकी है और 3,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
बता दें कि मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुई हैं.
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है.