कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत का जश्न का अभी पूरा भी नहीं हुआ है कि कांग्रेस पार्टी सीएम पद को लेकर कंफ्यूजन में आ गई है. पार्टी के रणनीतिकारों की तरफ से मुख्यमंत्री पद के नाम पर अंतिम मुहर लगाने की प्रक्रिया तेज हो गई है. राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके सिद्धारमैया को दिल्ली बुलाया गया तो उनके नाम पर चर्चा तेज हो गई. वहीं प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार के नाम भी सहमति बनती दिख रही है. इससे पहले कर्नाटक में पार्टी के 135 विधायकों के साथ एक मीटिंग कर उनकी राय जानी गई. इस मीटिंग में किसी विधायक ने सिद्धारमैया तो किसी ने डीके शिवकुमार के नाम का सुझाव दिया. कुछ विधायकों लिंगायत समुदाय से आने वाले एमबी पाटिल को सीएम बनाने का सुझाव दिया. लेकिन पार्टी आलाकमान ऐसा कोई रिस्क लेना नहीं लेना चाहता है जिससे राजस्थान और छत्तीसगढ़ वाली स्थिति बन जाए.
विधायकों से चर्चा के बाद भी मुख्यमंत्री पद के नाम पर सहमति नहीं बनते देख आखिरी फैसला कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर छोड़ दिया गया. अब उन्हें ही तय करना है कि कर्नाटक के सीएम का ताज किसके सिर पर सजेगा. दूसरी तरफ आजतक में छपि खबर के मुताबिक सिद्धारमैया ने 2 साल और 3 साल का फार्मूला रखा. जिसके तहत सिद्धरमैया ने अपने लिए 2 साल और डीके शिवकुमार के लिए 3 साल तक मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव पार्टी आलाकमान के सामने रखा. उनका तर्क था कि वह उम्रदराज हैं इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव तक उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने सिद्धारमैया के इस फार्मूले को राजस्थान और छत्तीसगढ़ का हवाला देते हुए खारिज दिया.
अब पार्टी आलाकमान के सामने चुनौती यह है कि यदि डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाए तो सिद्धारमैया को क्या पद देकर मनाया जाए और डीके शिवकुमार का पक्ष इसलिए मजबूत है कि पार्टी ने पिछले तीन सालों में उनके काम को देखा है और कर्नाटक में कांग्रेस के संकटमोचक बनकर उभरे हैं. कुल 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के 136 सीटों पर जीत मिली है.