हम अक्सर एक शब्द सुनते रहते हैं...आलाकमान...क्या होता है इसका मतलब...आम तौर पर इसका मतलब है एक ऐसी कमान जो अपनी पार्टी को नियंत्रण में रख सके...कोई नेता इधर-उधर करे तो उसे काबू कर सके या फिर उसमें चुनाव जिताने का माद्दा हो...लेकिन इन सारी बातों पर देश की ग्रेट ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस का आलाकमान कमजोर पड़ता दिख रहा है. वो लगातार या तो ऐसे फैसले ले रहा है जो सेल्फ गोल साबित हो रहे हैं या फिर उसे उसके की क्षत्रप मजबूर बनाते दिख रहे हैं...ताजा मामला राजस्थान का है...इसी आलोक में ये जानते हैं हाल के दिनों में 137 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी का आलाकमान कब-कब विफल रहा...
BJP से कांग्रेस में गए नवजोत सिंह सिद्धू में कांग्रेस नेताओं को इतनी खूबियां दिखी कि उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सत्ता से बेदखल कर दिया. पार्टी आलाकमान ने वहां दलित कार्ड खेला और चरणजीत सिंह चन्नी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया. मोदी लहर में भी शानदार प्रदर्शन करने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया. नुकसान किसका हुआ? पंजाब में हालत देख सकते हैं. पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को किसी लायक नहीं छोड़ा और सत्ता पर काबिज हो गई.
मध्य प्रदेश में 15 साल बाद 2018 में कांग्रेस की वापसी हुई. BJP को हराकर कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री तो बना दिया, लेकिन प्रदेश में जमकर खेमेबाजी देखने को मिली. कमलनाथ बनाम ज्योतिरादित्य सिंधिया चरम पर रहा. पार्टी आलाकमान को पता था कि मध्य प्रदेश में कुछ भी हो सकता है. ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद मुख्यमंत्री बनना चाह रहे थे, पार्टी नेतृत्व खामोश रहा. अंत में सिंधिया भाजपा के साथ चले गए और मध्य प्रदेश में सरकार गिर गई. बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान फिर मुख्यमंत्री बनाए गए.
साल 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 17 सीटें जीतीं, वहीं बीजेपी को 13 सीटें मिली थीं. लेकिन सरकार भाजपा ने बनाई. दरअसल उस दिग्विजय सिंह पार्टी प्रभारी थे और कहा जाता है कि सरकार के लिए दावा पेश करने के लिए दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल को चिट्ठी नहीं देने दिया था.
एक ओर कांग्रेस पार्टी भारत जोड़ो यात्रा कर रही है, वहीं गोवा कांग्रेस में बड़ी फूट हो गई. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते 11 विधायकों में से 8 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. इस साल फरवरी महीने में चुनाव हुए थे.
अरुणाचल प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री नाबाम तुकी और उनके भतीजे नाबाम रेबिया के खिलाफ कांग्रेस पार्टी में बगावत की सुर छिड़ने लगी. लेकिन पार्टी के बड़े नेता मुह देखते रहे. नाबाम तुकी के अलावा सभी नेता पहले तो पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल के साथ जुड़ गए, लेकिन बाद में पेमा खांडू समेत कई विधायकों ने BJP का दामन थाम लिया.
साल 2021 नवंबर में मेघालय में कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा, मुकुल सांगमा के नेतृत्व में कांग्रेस (Congress) के 18 में से 12 विधायक TMC में शामिल हो गए. उसी साल विंसेंट एच पाला को मेघालय का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पार्टी में फूट होने लगी थी. हालांकि, कांग्रेस आलाकमान ने मुकुल सांगमा को मनाने की कोशिश की थी, लेकिन मामला कुछ ज्यादा ही आगे जा चुका था.