Himachal Pradesh Election: चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश में चुनावी तारीखों का एलान कर दिया है. यहां 12 नवंबर को एक ही चरण में मतदान (voting) होगा और 8 दिसंबर को जनता का फैसला सबके सामने आ जाएगा. बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह (Narendra Modi, Amit Shah) समेत कई दिग्गज नेता प्रचार में जुटे हुए हैं. वहीं प्रियंका गांधी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Priyanka Gandhi, Chhattisgarh Chief Minister Bhupesh Baghel) कांग्रेस (Congress) के लिए प्रचार कर रहे हैं तो आम आदमी पार्टी (AAP) की ओर से अरविंद केजरीवाल मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की पूरी जुगत में लगे हैं.
वैसे तो चार धाम उत्तराखंड में हैं लेकिन उसी के पड़ोसी हिमाचल को भी देवभूमि का तमगा मिला हुआ है...क्योंकि इस पहाड़ी राज्य के हर गांव-कस्बे में कोई न कोई देवता है या फिर उनके मंदिर हैं. आज हम बात करेंगे इसी देवभूमि के इतिहास और वर्तमान पर.
ये तो हम सब जानते हैं कि भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ लेकिन हिमाचल प्रदेश बना 15 अप्रैल 1948 को. प्रदेश में आज 12 जिले हैं लेकिन जब यह बना था तब उसमें चार ही जिले थे. महासू, सिरमौर, चंबा और मंडी. यहां सबसे पहले 1952 में चुनाव हुए तब 24 मार्च 1952 को प्रदेश की बागडोर बतौर मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार (Yashwant Singh Parmar) ने संभाली थी. इसके बाद 25 जनवरी 1971 का दिन हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए बेहद अहम और ऐतिहासिक रहा. तब हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था. हिमाचल के पूर्ण राज्य की घोषणा शिमला के एतिहासिक रिज मैदान में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने की थी. कहते हैं जब इंदिरा गांधी ने ये ऐलान किया तो उस दौरान वहां बर्फ गिर रही थी. लेकिन कड़ाके की ठंड के बावजूद रिज पर काफी भीड़ जमा थी. इसके बाद डॉ. यशवंत सिंह परमार एक बार फिर से हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे.
यह भी पढ़ें: Himachal Pradesh Election: एक मिनट में समझिए हिमाचल का चुनावी समीकरण
वैसे तो हिमाचल प्रदेश की राजनीति में कभी जाति के आधार पर ज्यादा राजनीति नहीं होती है, लेकिन यहां राजपूत और ब्राह्मण समाज (rajput and brahmin) का ही दबदबा रहा है. हिमाचल प्रदेश में राजपूत 37.5 फीसदी हैं, यानी सबसे ज्यादा..उसके बाद ब्राह्मण 18 फीसदी. इनके अलावा दलित (Dalit) समुदाय की आबादी 26.6 फीसदी है.
आजादी के लगभग 3 दशकों बाद तक हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का दबदबा रहा है. यहां 1952 से लेकर 1977 तक कांग्रेस सत्ता में रही. कांग्रेस के यशवंत सिंह परमार और रामलाल ठाकुर मुख्यमंत्री (Yashwant Singh Parmar and Ramlal Thakur Chief Minister) बनते रहे. लेकिन इमरजेंसी के बाद सियासत ने पलटी मार दी. 1977 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई और जनता पार्टी की अगुवाई में सरकार बनी. जनता पार्टी की सरकार में शांता कुमार (Shanta Kumar) मुख्यमंत्री बन गए. मालूम हो कि यह पहली बार हुआ था जब हिमाचल प्रदेश में गैर-कांग्रेस सरकार बनी.
यह भी पढ़ें: Opinion Poll: हिमाचल में टूटेगा 37 साल का रिकॉर्ड! जनता ने बताया अपना मूड?
हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की सबसे पहली बार 5 मार्च 1990 में सरकार बनी, शांता कुमार मुख्यमंत्री बनाए गए. उसके बाद 24 मार्च 1998 में प्रेम कुमार धूमल (Prem Kumar Dhumal) को बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया. 6 मार्च 2003 को फिर से कांग्रेस की जीत हुई और वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) मुख्यमंत्री बने. 30 दिसम्बर 2007 में बीजेपी की सत्ता में फिर से वापसी हुई और पार्टी ने प्रेम कुमार धूमल पर ही भरोसा किया और सत्ता उन्हें सौंप दिया. साल 2012 के चुनाव में कांग्रेस को फिर जीत मिली, 25 दिसम्बर 2012 को वीरभद्र सिंह सीएम बने. साल 2017 के चुनाव में जब बीजेपी को प्रचंड जीत मिली तो पार्टी ने जयराम ठाकुर (Jairam Thakur) को मुख्यमंत्री बना दिया.
हिमाचल प्रदेश में 1985 के बाद से अब तक हर विधानसभा चुनाव में सरकार बदली है. यहां पिछले 37 सालों से एक बार BJP तो एकबार कांग्रेस की सरकार बनी है. इस पहाड़ी राज्य में जनता हर 5 साल में सरकार बदल देती है. वीरभद्र सिंह लंबे समय तक कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे. फिलहाल इसबार सत्ता में बीजेपी है, जाहिर है कांग्रेस का मनोबल बढ़ा हुआ है. लेकिन इतना आसान नहीं है बीजेपी को मात देना. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह जमकर हिमाचल का दौरा कर रहे हैं. BJP इस इतिहास को बदलने में लगी है.
यह भी पढ़ें: HP Election: क्या आप जानते हैं कौन है देश का पहला मतदाता, 105 साल की उम्र में फिर डालेंगे वोट
लेकिन यह न भूलें बीजेपी के सत्ता में रहते हुए भी बीते साल नवंबर 2021 में हुए उपचुनावों में कांग्रेस ने भगवा पार्टी को तगड़ा झटका दिया था. हिमाचल प्रदेश की एक लोकसभा सीट मंडी और 3 विधानसभा सीटों फतेहपुर, अर्की और जुब्बल कोटखाई में कांग्रेस को जबरदस्त जीत मिली थी.
105 साल के श्याम सरण नेगी (Shyam Saran Negi) भी इस साल विधानसभा चुनाव में वोट डालेंगे. श्याम सरण नेगी आजाद भारत के सबसे पहले मतदाता हैं. वह न केवल हिमाचल प्रदेश और किन्नौर, बल्कि देश की शान हैं. श्याम सरण नेगी ने आजादी के बाद अब तक हुए सभी चुनावों में वोट डाला है. सभी लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनावों में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है. एक जुलाई, 1917 को कल्पा में जन्में श्याम सरण नेगी ने पहला वोट 25 अक्तूबर, 1951 में पहले चुनाव में डाला था.
खैर...हिमाचल प्रदेश में इसबार ओपिनियन पोल चौंकाने वाले हैं. ABP C-Voter के सर्वे के मुताबिक लहर BJP के पक्ष में है. ओपिनियन पोल के मुताबिक बीजेपी के हिस्से में 38-46 सीटों को अनुमान जताया गया है. वहीं कांग्रेस को इस सर्वे में 20-28 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं. ओपिनियन पोल में आप को 0-1 सीट का अनुमान जताया गया है. वहीं अन्य के खाते में 0-3 सीटें आ सकती हैं.
हिमाचल प्रदेश में कुल 68 विधानसभा सीटें हैं. 2017 में चुनाव के दौरान BJP 44 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटें मिलीं. इनके अलावा CPM को एक सीट और 2 निर्दलीय प्रत्याशी विधायक बने. जिन्होंने सरकार बनने से पहले ही BJP को अपना समर्थन दे दिया था.
फिलहाल हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर BJP से CM की रेस में सबसे आगे हैं. अगर इस विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को जीत मिलती है तो पार्टी कोई बड़ा उलटफेर नहीं करना चाहेगी. इनके अलावा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Union Minister Anurag Thakur) भी मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. जब-जब उनका हिमाचल दौरा होता है वो अपने पिता प्रेम कुमार धूमल की तरह अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करते हैं.
वहीं, कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह, मुकेश अग्निहोत्री, कौल सिंह ठाकुर, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, रामलाल ठाकुर, आशा कुमारी (Pratibha Singh, Mukesh Agnihotri, Kaul Singh Thakur, Sukhwinder Singh Sukhu, Ramlal Thakur, Asha Kumari) CM की रेस में सबसे आगे हैं. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने अब तक आधिकारिक तौर पर किसी भी नाम का एलान नहीं किया है.
खैर यह तो एक रिपोर्ट थी...कुछ तथ्य थे. लेकिन 12 नवंबर को हिमाचल की जनता फिर से वोट डालेगी और 8 दिसंबर को एक नई सरकार के लिए नतीजे आएंगे...यहां की जनता क्या सोचती है और चाहती है उस समय सबकुछ साफ हो जाएगा.