Why BJP defeated in Himachal Pradesh: कांग्रेस को दिल्ली MCD और गुजरात विधानसभा (Gujarat Assembly Elections 2022) चुनाव नतीजों से गहरे जख्म मिले पर पहाड़ी राज्य हिमाचल के नतीजों से निकली खुशनुमा हवा ने इन जख्मों पर मरहम का काम किया है. राज्य की जनता ने सरकार बदलने के अपने रिवाज को कायम रखा और कांग्रेस का हाथ पकड़ कर उसे सत्ता पर बिठा दिया. हालांकि रूझानों में हुए उतार-चढ़ाव ने मल्लिकार्जुन खड़गे की धड़कन जरूर बढ़ाई होगी...बहरहाल हिमाचल में कांग्रेस की बड़ी जीत और बीजेपी के शिकस्त की वजहें क्या रहीं...आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में...
राज्य में विधानसभा की कुल 68 सीटों पर बीजेपी के 21 बागी नेता मैदान में थे. इनमें कई दिग्गज ऐसे थे जिन्हें पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया था. इनमें एक कृपाल परमार भी रहे, जो कभी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा (JP Nadda) के करीबी थे. नड्डा के गृह जिले बिलासपुर में भी बीजेपी को बगावत मिली. बागी सुभाष शर्मा बीजेपी प्रत्याशी त्रिलोक जामवाल के खिलाफ मैदान में उतरे. 2017 में भी बीजेपी कुछ सीटें कड़े मुकाबले में 1 हजार से कम वोटों के अंतर से जीती थी. ऐसे में एंटी-इंकम्बेंसी और पार्टी नेताओं की बगावत बीजेपी पर भारी पड़ी.
राज्य में जो मुद्दा बीजेपी की सबसे बड़ी कमजोरी बना वो यही था. राज्य के सरकारी कर्मचारियों ने इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन किया. सीएम जयराम ठाकुर (Jairam Thakur) जद्दोजहद में फंसे दिखाई दिए. न तो वह इसे लागू करने का वादा कर पाए और न ही इसके खिलाफ कुछ कह पाए. वहीं विरोधी दल कांग्रेस और AAP ने सत्ता में आने पर इसे लागू करने का वादा दिया. केंद्रीय नेतृत्व का फैसला होने की वजह से सीएम जयराम ठाकुर इन सवालों पर पहले भी घिरे दिखाई दिए थे. हिमाचल में सरकारी कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है. निश्चित रूप से राज्य के कामकाजी मिडिल क्लास को खुश कर पाने में बीजेपी सरकार नाकाम रही.
हिमाचल प्रदेश चुनावों में प्रियंका ने करीब 1 महीने तक वहीं डेरा डाले रखा. शिमला के छराबड़ा में अपने घर से उन्होंने इलेक्शन की कमान संभाली. उन्होंने परिवर्तन प्रतिज्ञा रैलियां की. प्रदेश के सभी कांग्रेस नेताओं की कमियों और खूबियों से भी प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) वाकिफ हैं. प्रदेश को वह बखूबी समझती हैं और उन्होंने ही राज्य में पार्टी की रणनीति बनाई. कांग्रेस प्रत्याशियों के नाम तय करने के लिए सोनिया गांधी ने भी प्रियंका के शिमला स्थित घर से ही केंद्रीय चुनाव कमेटी की ऑनलाइन बैठक ली थी. हिमाचल चुनाव में प्रियंका ने एक के बाद एक ताबड़तोड़ रैलियां की. उन्होंने मंडी, सिरमौर, धर्मशाला और कुल्लू में प्रचार किया और जनता से रिवाज कायम रखने की भी बात कही.
गुजरात में वीरभद्र के न होते हुए भी वीरभद्र फैक्टर हावी रही. अभी वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) राज्य में पार्टी की अध्यक्ष हैं. नवंबर 2021 में मंडी लोकसभा सीट और 3 विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस की ही जीत हुई थी. भितरघात, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों ने बीजेपी को तगड़ा झटका दिया था. प्रतिभा सिंह ने मंडी से 369565 मतों के साथ जीत दर्ज की और बीजेपी से ये सीट छीन ली थी. विधानसभा सीटों के उपचुनाव में भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था.
पहाड़ी राज्य हिमाचल में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा रही. इसमें भी पेपर लीक होने के बाद बेरोजगारी का मुद्दा और ज्यादा बढ़ गया. सबसे पहले सुंदरनगर के एक एग्जाम सेंटर से जूनियर ऑफिस असिस्टेंट का पेपर लीक हुआ, इसके कुछ समय बाद दोबारा पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ, जिससे सरकार की मुश्किलें और भी बढ़ गईं. विरोधी पार्टियों ने जहां बीजेपी सरकार को घेरा वहीं इन घटनाओं ने युवाओं का गुस्सा भी बढ़ा दिया.
हिमाचल में 1985 से हर 5 साल में सत्ता बदलने रिवाज रहा है. हर 5 साल बाद यहां सरकार विरोधी लहर दिखाई देती ही है. वीरभद्र सिंह जैसे दिग्गजों के रहते भी कांग्रेस ने बीते 37 साल में कभी दोबारा सत्ता हासिल नहीं की. रही सही कसर आम आदमी पार्टी (AAP) की एंट्री ने पूरी कर दी.