Himachal Pradesh Assembly Elections 2022 : हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के ज्यादातर एग्जिट पोल (Himachal Exit Polls) राज्य में बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर दिखा रहे हैं. 12 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी, चुनाव परिणाम 8 दिसंबर को आएंगे.
कांग्रेस अगर राज्य में बीजेपी को पछाड़कर एक बार फिर सत्ता में वापसी करती है तो बड़ा सवाल ये है कि पार्टी का सीएम कौन बनेगा? हालांकि वीरभद्र सिंह के निधन के बाद प्रदेश कांग्रेस में इस पद के लिए कई दावेदार दिखाई देते हैं लेकिन हम इनमें से कुछ दिग्गज नामों पर रोशनी डालेंगे...
आइए जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश में अगर कांग्रेस चुनाव जीतती है, तो कौन सीएम बन सकता है?
हिमाचल प्रदेश में मंडी के वरिष्ठ कांग्रेस नेता कौल सिंह ठाकुर कांग्रेस में CM पद के मजबूत दावेदारों में से एक हैं. 1977 में अपना पहला चुनाव जीतने वाले ठाकुर अब तक 8 बार विधायक रह चुके हैं. वह कई बार मंत्री भी बने हैं. कौल सिंह ठाकुर दो बार राज्य में कांग्रेस के अध्यक्ष और विधानसभा स्पीकर भी रह चुके हैं. ठाकुर की वरिष्ठता और अनुभव उन्हें सीएम पद के दावेदारों में सबसे पहले नंबर पर लेकर आती है. हां, उन्हें अपनी सीट निकालनी होगी. 2012 में भी वह सीएम पद के दावेदार थे.
हिमाचल के बिलासपुर से कोई सीएम नहीं बना. कद्दावर नेता राम लाल ठाकुर 5 बार विधायक जरूर रहे हैं. वह पहली बार 1985 में विधानसभा चुनाव जीते थे. राम लाल ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबियों में थे. वह मंत्री भी बने और संगठन में भी कई पदों पर रहे हैं. अगर वह अपनी सीट श्री नैनादेवी से चुनाव जीतते हैं और कांग्रेस भी सत्ता में आने की स्थिति में हुई, तो रामलाल भी सीएम बनने की रेस में होंगे.
वर्तमान में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री 2003 से लगातार विधायकी का चुनाव जीत रहे हैं. इस बार ऊना के हरोली से वह 5वी बार चुनावी मैदान में हैं. पत्रकार से नेता बने मुकेश अग्निहोत्री सीएम पद की रेस में हैं. 2012 से 2017 के दौरान राज्य की कांग्रेस सरकार में वह Industries and Public Relations Department के मंत्री रह चुके हैं. वह संसदीय कार्यमंत्री का जिम्मा भी देख संभाल चुके हैं. अगर वह सीएम बने तो उना जिले से इस पद पर पहुंचने वाले पहले शख्स होंगे.
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह से अदावत रखने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू हमीरपुर के नादौन विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं. अगर वह इस बार जीतते हैं तो चौका जड़ेंगे. वह 2013 से 2019 तक लगातार दो बार कांग्रेस के स्टेट प्रेसिडेंट रह चुके हैं लेकिन कभी भी वह मंत्री नहीं बने. हालांकि आलाकमान से उनके रिश्ते अच्छे हैं और इसी वजह से वह सीएम पद के दावेदारों में शामिल हैं. वह 2003, 2007 और 2017 में भी चुनाव जीते थे. इस बार भी वे आलाकमान से अपने करीबियों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं. अगर वह और उनके करीबी जीते, तो वह भी सीएम पद की रेस में होंगे.
आशा कुमारी चंबा जिले के डलहौजी से मौजूदा विधायक हैं. वह 6 बार विधायक रही हैं. वह मंत्री भी रह चुकी हैं. 1985 में, आशा कुमारी पहली बार चंबा के बनीखेत से जीतकर विधानसभा पहुंची थीं. हालांकि, जमीन हड़पने के एक मामले में कोर्ट से सजायाफ्ता हैं. उनकी सजा प्रदेश हाई कोर्ट ने निलंबित कर दी थी. अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है. इस एक वजह से उनके और सीएम पद के रास्ते में अड़चन खड़ी हो सकती है.
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह भी CM पद की रेस में हैं. वह 2021 के उप चुनाव में मंडी संसदीय सीट से चुनाव जीती थीं. प्रदेश में बीजेपी सरकार रहते उनकी जीत बड़ी थी. वह पहले भी सांसद रही हैं लेकिन कभी विधायक नहीं बनी. अभी वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं. विधायक न होना ही उनके रास्ते की बाधा बन सकता है.
पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा धर्मशाला से चुनावी मैदान में थे. वह गांधी परिवार के करीबियों में हैं, हालांकि 2019 उपचुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया गया था. ये वह उपचुनाव था जिसमें कांग्रेस हारी थी. शर्मा 2003 में पहली बार बैजनाथ से विधायक बने थे. 2012 में उन्होंने धर्मशाला से चुनावी ताल ठोकी और इसे जीता भी.