तमाम अटकलों के बीच बीजेपी (BJP) ने उप राष्ट्रपति कैंडिडेट (Vice President Candidate) के नाम का ऐलान कर दिया है. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) NDA की तरफ से उप राष्ट्रपति कैंडिडेट होंगे. दिल्ली में बीजेपी संसदीय बोर्ड की मीटिंग में यह फैसला हुआ. मीटिंग के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने धनखड़ के नाम का ऐलान किया.
इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत तमाम नेता शामिल हुए. ये तो रहीं खबर की बात लेकिन इन बीच सबके अलावा आइए हम आपको बताते है कि जगदीप धनखड़ को ही उप राष्ट्रपति कैंडिडेट एनडीए की तरफ से क्यों बनाया (Why BJP Chosen Jagdeep Dhankhar as a candidate for Vice President Election) गया. आइए हम आपको सिलसिलेवार तरीके तरीके बताते है.
इस फेहरिस्त में पहला नाम जिसकी चर्चा राजनीतिक हलकों में सबसे ज्यादा थी वो थे मुख्तार अब्बास नकवी. बीती 6 जुलाई को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कैबिनेट से इस्तीफा दिया था. उनका राज्यसभा कार्यकाल गुरुवार 7 जुलाई को खत्म हुआ. इस्तीफे के बाद से नकवी को उपराष्ट्रपति कैंडिडेट बनाए जाने की चर्चा थी. नकवी को बीजेपी ने राज्यसभा के चुनाव में उम्मीदवार भी नहीं बनाया था, तब से ही कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी उन्हें किसी बड़ी भूमिका में लाना चाहती है लेकिन इस पर विराम लग गया हैं.
बंगाल का राज्यपाल रहते हुए जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी के बीच कई बार तल्खियां सामने आ चुकी है. बंगाल चुनाव के बाद राज्य में हुए राजनीतिक हिंसा के लिए सीधे तौर पर उन्होंने ममता सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया था. 21 जून 2021 को उत्तर बंगाल दौरे के समय उन्होंने कहा था कि लोग मारे जा रहे हैं. मैं ऐसे में भी चुप रहने वाला गवर्नर नहीं हूं.
इसके अलावा, PM की मीटिंग में शामिल न होने पर ममता को झूठा कहा था, TMC ने कई मौके पर धनखड़ को पद से हटाने की मांग की थी. TMC ने जगदीप धनखड़ पर आरोप लगाया था कि राजभवन में उन्होंने अपने 4 रिश्तेदारों को OSD बना दिया है. पूरे राजभवन को BJP ऑफिस में तब्दील कर दिया है.
जनता के पैसों से खाना-पीना चल रहा है. जैसे-जैसे रात होती जाती है, वैसे-वैसे उनके ट्वीट भी बढ़ते जाते हैं. वे राजभवन में कारोबारियों से मिलते हैं. उन्होंने अपने पद की गरिमा गंवा दी.
जगदीप धनखड़, पश्चिम बंगाल में अपनी भूमिका के दौरान सीधा ममता बनर्जी से टकराव लेते रहे. यूनिवर्सिटी चांसलर के पद को लेकर विवाद हो या मां काली विवाद पर मचा हंगामा... उन्होंने राज्यपाल रहते राज्य सरकार और ममता को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी. ममता की और धनखड़ की तकरार का एक नमूना गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में भी दिखाई दिया था.
कार्यक्रम में सीएम ममता ने तब तक अपनी कुर्सी से नहीं उठीं, जब तक कि राज्यपाल उनके करीब नहीं आ गए. इन सब बातों के अलावा भी कई ऐसे मौके रहे जब धनखड़ ने अपने फैसले और बयान से ममता सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कीं. राज्यपाल के इन कदमों को सीधा सीधा बीजेपी के एजेंडे से जोड़कर देखा गया.
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जेपी नड्डा ने जगदीप धनखड़ को ‘किसान पुत्र’ बताते हुए जिक्र किया कि उनका सार्वजनिक जीवन 30 वर्षों का है.18 मई, 1951 को जन्मे 71 वर्षीय जगदीप धनखड़ को जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया था. उनका जन्म राजस्थान के एक छोटे से गांव किठाना में हुआ था, जो झुंझुनू जिले के के चैरवा तहसील में स्थित है.
जगदीप की न सिर्फ जाट समुदाय को आरक्षण दिलाने में उनकी बड़ी भूमिका है, बल्कि मारवाड़ी समाज में भी उनका अच्छा-खासा प्रभाव माना जाता है, अगले साल राजस्थान में चुनाव है इससे भी जगदीप धनखड़ की उम्मीदवारी को जोड़कर देखा जा रहा हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान की 13 फीसदी आबादी जाट की हैं इसलिए इस दावेदारी को अहम माना जा रहा हैं.
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