Jammu kashmir politics: जम्मू कश्मीर (Jammu kashmir) में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने के आसार नजर आ रहे हैं. ऐसे में मुस्लिम गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले गुलाम अली (Ghulam ali) को राज्यसभा (Rajyasabha) का सदस्य मनोनीत करना मोदी सरकार (Modi Govt) का एक मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. दरअसल राज्य में इस समुदाय का राजनीति में काफी कम प्रतिनिधित्व रहा है. धारा 370 को हटाए जाने से पहले गुर्जर मुस्लिम समुदाय का विधायी निकायों में न के बराबर ही प्रतिनिधित्व था. ऐसे में मोदी सरकार ने मुस्लिम गुर्जर समुदाय में लोकप्रिय गुलाम अली को राज्यसभा भेज कर ये संदेश देने की कोशिश की है कि जम्मू कश्मीर को लेकर बीजेपी ने खास रणनीति बनाई है.
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को अचानक निरस्त कर दिया था जिसका विपक्षी दल को अंदाजा भी नहीं था. इतना ही नहीं तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया . इससे कांग्रेस और कश्मीर घाटी की रहनुमा बनने वाली पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस को जोर का झटका लगा था. राज्य का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद वहां डोमिसाइल से जुड़े नियमों में भी संशोधन किये गये. प्रदेश से बाहर शादी करने वाली महिलाओं के पति और बच्चों को भी मूल निवासी माना गया साथ ही वहां बसने से जुड़े नियम में भी बदलाव किये गये. इसका बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में फायदा मिल सकता है.
दरअसल, जम्मू -कश्मीर को लेकर पीएम मोदी ने सियासी बिसात पर एक के बाद एक ऐसी चाल चली है जिसे विपक्षी दल समझ तो रहे हैं लेकिन उन्हें तोड़ निकालने में असमर्थ नजर आ रहे हैं. कांग्रेस का दामन छोड़ कर गुलाम नबी आज़ाद ने नयी पार्टी के गठन का एलान किया है और ये पार्टी भी जम्मू कश्मीर में अपना पहला यूनिट गठित कर रही है इसमें कांग्रेस छोड़कर आये जम्मू के ज्यादातर नेता हैं. इसे भी बीजेपी की रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है. सियासी हलकों में ये भी चर्चा है कि गुलाम नबी आजाद के सुझाव पर ही मोदी सरकार ने एक गुर्जर मुस्लिम नेता को राज्यसभा का सदस्य नामित करवाकर एक नया इतिहास रचा है.