Jharkhand: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को रांची की पीएमएलए कोर्ट ने पांच दिन की ईडी की हिरासत में भेज दिया है. इससे पहले गुरुवार को कोर्ट ने हेमंत सोरेन को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था और फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने हेमंत सोरेन को झटका देते हुए धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी को लेकर हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया और उन्हें उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने सोरेन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी से राहत के लिए उच्च न्यायालय जाने को कहा।
सिब्बल ने कहा, ‘‘इस प्रकार के मामलों में इस अदालत को एक संदेश भेजने की जरूरत होती है। यह एक मुख्यमंत्री से जुड़ा मामला है, जिसे गिरफ्तार किया गया है। कृपया सबूत देखिए। यह अनुचित है।’’
न्यायमूर्ति खन्ना ने सिब्बल से कहा, ‘‘पहली बात यह है कि अदालतें सभी के लिए खुली हैं। दूसरी बात यह है कि उच्च न्यायालय भी संवैधानिक अदालतें हैं। यदि हम किसी एक व्यक्ति को शीर्ष अदालत में आने की अनुमति देते हैं, तो हमें सभी को अनुमति देनी होगी।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और अरुणाभ चौधरी के साथ अदालत में उपस्थित हुए सिब्बल ने कहा, ‘‘आपके पास यह विवेकाधिकार है। यह एक ऐसा मामला है जहां उस विवेक का प्रयोग किया जाना चाहिए।’’
न्यायमूर्ति खन्ना ने एक अन्य पीठ के पहले के आदेश का हवाला दिया जिसमें न्यायमूर्ति त्रिवेदी भी शामिल थीं।
न्यायमूर्ति खन्ना ने सिब्बल से कहा, ‘‘आप उच्च न्यायालय जाएं। आपने शुरुआत में यह याचिका इस आधार पर दायर की थी कि पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) की धारा 50 के तहत नोटिस जारी किया गया है। अब, क्योंकि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है तो संशोधन की एक अर्जी दायर की गई।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि न्यायमूर्ति त्रिवेदी वाली एक पीठ में पहले एक मामले में पीएमएलए के उन प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत ईडी द्वारा समन जारी किए गए थे।
सिंघवी ने अदालत को इस मामले की सुनवाई के लिए मनाने की कोशिश की लेकिन पीठ ने याचिका पर सुनवाई की इच्छा नहीं जताई और आदेश दिया कि सोरेन राहत के लिए संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नेता हेमंत सोरेन ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी याचिका में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर उन्हें “सुनियोजित साजिश” के तहत गिरफ्तार करने का आरोप लगाया था। उन्होंने याचिका में कहा था कि अब से कुछ महीनों बाद होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई।
शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिका में सोरेन ने उनकी गिरफ्तारी को अनुचित, मनमाना और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन घोषित करने का आग्रह किया था।
सोरेन को 31 जनवरी को भूखंड के “अवैध” कब्जे और “भूमि माफिया” के साथ कथित संबंध से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था।
रांची की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने उन्हें बृहस्पतिवार को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था