राजस्थान में रमजान के महीने (Ramadan Month) में मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में बिजली कटौती (Electricity Supply in Muslim Dominating Areas) न करने का आदेश अब प्रदेश सरकार के लिए सिरदर्द बनता दिखाई दे रहा है. विद्युत वितरण कंपनियों के आदेश ने विपक्षी बीजेपी को अवसर दिया तो फैसला पलटा गया और नया लेटर जारी किया गया. नए लेटर में परिवर्तन करके मुस्लिम बाहुल्य शब्द को हटा दिया गया और अधिक गर्मी को वजह के तौर पर जोड़ दिया गया.
जोधपुर डिस्कॉम (Jodhpur Discom) ने अपने पत्र में लिखा था कि 4 अप्रैल से रमजान का महीना शुरू हो रहा है. गर्मी की वजह से रोजेदारों को परेशानी न हो इसलिए रमजान नहीने में संपूर्ण मुस्लिम क्षेत्र में कोई कटौती न की जाकर निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करें.
सोशल मीडिया पर इस पत्र को लेकर बहस छिड़ गई. बीजेपी नेताओं ने इसे राजस्थान की कांग्रेस सरकार की तुष्टिकरण की राजनीति से जुड़ा आदेश बता दिया. वहीं जोधपुर डिस्कॉम ने इसे एक सामान्य आदेश बताया और कहा कि संशोधन कर दिया गया है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोशल मीडिया पर आदेश की कॉपी शेयर की और लिखा कि गहलोत सरकार के इशारे पर यह आदेश दिया गया, इसे पढ़कर कांग्रेसी सोच से घृणा बढ़ जाती है.
बता दें कि बिजली की आपूर्ति को लेकर जारी पत्र में मामला इसलिए भी गर्माया क्योंकि राजस्थान के ही करौली जिले में 2 अप्रैल को नवसंवत्सर के दौरान हिंसा (Karauli Violence on Hindu New Year) का मामला सामने आया. यहां मोटरसाइकिल रैली निकल रही थी. इसी दौरान कुछ शरारती तत्वों ने पथराव किया, जिसके बाद हिंसा फैल गई और उपद्रवियों ने कुछ दुकानों और मोटरसाइकिल को आग के हवाले कर दिया था. इससें आधा दर्जन दुकानें, वाहन और अन्य सामान क्षतिग्रस्त हो गए. इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति है. इस हिंसा में 27 से ज्यादा लोगों को चोटें आई हैं.