कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सत्ता की जंग ने सियासत के कई रंग दिखाए.राज्य में अपनी सरकार के वक्त किए गए विकास कार्यों को गिनाने उतरी भाजपा जुबानी हमले के रास्ते से चलते हुए बजरंगबली के कंधे पर सवार हो गई. वहीं, भाजपा सरकार की विफलताओं को गिनाते हुए कांग्रेस पार्टी भी भाषा की मर्यादा लांगती नजर आई. चुनाव प्रचार के दौरान कई खूबसूरत तस्वीरें भी देखने को मिली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्नाटक के पारंपरिक पोषाक में दिखे तो कांग्रेस पार्टी नेता प्रियंका गांधी डोसा बनाती हुई नजर आईं. वहीं, क्षेत्रिय पार्टी जनता दल (सेक्युलर) के नेता भी गांव से शहर तक पसीना बहाते दिखे. सभी पार्टियों के नेताओं ने जनता को जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ा. जिसमें कांग्रेस सफल हुई और अब वक्त है काम करने का. कर्नाटक की जनता ने भाजपा को आजमाने के बाद अब कांग्रेस पर भरोसा दिखाया है. कर्नाटक चुनाव समाप्त हो चुका है. अब दक्षिण में तेलंगाना तो उत्तर में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव है. अब आने वाला ही बताएगा कि कर्नाटक चुनाव का असर इन राज्यों पर पड़ेगा या जनता भाजपा को बेहतर प्रदर्शन का मौका देती है. लेकिन यह तो साफ है कि दक्षिण के राज्यों ने भाजपा को प्रवेश द्वार से ही बाहर कर दिया है.
कर्नाटक चुनाव ने अलग दिशा कांग्रेस पार्टी के मेनिफेस्टो के बाद पकड़ी. इस मेनिफेस्टो में बजरंग दल को बैन करने की बात कही गई थी. भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया और बजरंग दल को बजरंगबली से जोड़ दिया. बाद में कांग्रेस पार्टी ने डैमेज कंट्रोल करते हुए हर जिले में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करने की बात कही.
कर्नाटक चुनाव राजनीतिक पार्टियों के लिए कितना महत्वपूर्ण था इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि भाजपा और कांग्रेस के तमाम दिग्गजों ने ताबड़तोड़ रैलियां की. बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्नाटक चुनाव में सबसे ज्यादा सक्रिय दिखे. उन्होंने चुनाव में बीजेपी के लिए 29 अप्रैल से 7 मई के बीच 7 दिन प्रचार किया. पीएम ने राज्य के 31 जिलों में से 19 जिलों में रैलियां और रोड शो किया. पीएम मोदी ने इस दौरान 18 रैलियां और 6 रोड शो किए. उन्होंने रोड शो के जरिए 28 विधानसभा सीटों को कवर किया. पीएम ने मैसूर के श्रीकांतेश्वरा मंदिर में दर्शन के बाद अपने चुनाव प्रचार का समापन किया था.
वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने भी चुनाव प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. शाह ने कर्नाटक में 21 अप्रैल से 7 मई के बीच 9 दिन का प्रचार किया. उन्होंने 31 में से 19 जिलों में रैलियां और रोड शो किया, जिसमें 16 रैली और 20 रोड शो शामिल हैं.
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने भी कर्नाटक में बीजेपी के लिए प्रचार किया था. उन्होंने 26 अप्रैल से 6 मई के बीच प्रचार किया, जिसमें योगी ने 31 में से 9 जिलों में रैलियां और रोड शो किया. सीएम योगी ने राज्य में 10 रैली और 3 रोड शो किया
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस नेताओं का प्रचार
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गजों नेताओं ने भी पार्टी के पक्ष में प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 16 अप्रैल से 7 मई के बीच 11 दिन का प्रचार किया था. राहुल ने राज्य के 31 में से 20 जिलों में रैलियां और रोड शो किया था. उन्होंने इस दौरान 23 रैली और 2 रोड शो करके जनता से वोट देने की अपील की.
प्रियंका ने भी बहाया था पसीना
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी रैलियां और रोड़ शो कर वोटरों के रिझाने की कोशिश करती नजर आईं. उन्होंने 25 अप्रैल से 8 मई के बीच राज्य में 9 दिन का प्रचार किया. उन्होंने राज्य के 31 जिलों में से 18 जिलों में रैलियां और रोड शो किया. जिसमें 15 रैली और 11 रोड शो शामिल हैं. इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी कर्नाटक में 16 अप्रैल से 7 मई के बीच 15 दिन का प्रचार किया. उन्होंने राज्य के 31 जिलों में से 14 जिलों में रैलियां और रोड शो किया, जिसमें 32 रैली और 1 रोड शो शामिल है.
राहुल की भारत जोड़ो यात्रा का भी दिखा असर
काग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी 'भारत जोड़ो' यात्रा को कर्नाटक में तीन चरणों में पूरा किया. उन्होंने कर्नाटक के अंदर 511 किलोमीटर की यात्रा की. यह यात्रा कर्नाटक के सात लोकसभा और 20 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरी थी. हालांकि, भारत जोड़ो यात्रा के बाद कर्नाटक में दो स्थानीय निकाय चुनाव श्याम राजनगर और बीजापुर में हुए जिसमें कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी यात्रा के दौरान कर्नाटक आईं और अपने बेटे राहुल के साथ राज्य के मांड्या जिले में चलीं. यात्रा ने लोगों को राज्य में कांग्रेस पार्टी के योगदान, विशेष रूप से भूमि सुधार अधिनियम के कार्यान्वयन की याद दिलाई. कर्नाटक उन कुछ राज्यों में से एक है जहां भूमि सुधारों को सच्ची भावना से लागू किया गया और लाखों लाभार्थी पार्टी के वफादार समर्थक हैं. अधिनियम ने जोतने वालों को जमीन दे दी, जिससे वे जमींदार बन गए. चुनाव परिणाम यह साबित करते हैं कि राहुल कर्नाटक की जनता तक अपनी बातें पहुंचाने में सफल रहे.