सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 6 साल पहले प्राइवेसी को फंडामेंटल राइट बताया था.सरकार यूजर्स की प्राइवेसी और डेटा के लिए एक बिल लेकर आई है. केंद्र की मोदी सरकार लंबे समय से डेटा प्रोटेक्शन बिल पर काम कर रही है. इस बिल को आज लोकसभा में पेश किया जा चुका है,केंद्रीय संचार,इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को लोकसभा में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 को पेश किया है
क्या है Digital Personal Data Protection Bill
जब कहीं भी रजिस्ट्रेशन करते वक्त संबंधित कंपनी या प्लेटफॉर्म को हम अपना पर्सनल डाटा यूज करने की अनुमति देते हैं. इसमें कंपनी और यूजर के बीच इस तरह की स्थिति स्पष्ट नहीं होती है कि इस डाटा का प्रयोग कंपनी कैसे करेगी. लेकिन ये बिल अगर पास हो जाता है तो ये आम लोगों के डाटा को सुरक्षा प्रदान करने का काम करेगा. बता दें कि पर्सनल डाटा में लोगों का फोन नंबर,आधार,पैन,एड्रेस,लोकेशन सबकुछ होता है.इसके लीक होने से हैकर्स आसानी से यूजर्स की जानकारी को हासिल कर सकते हैं और उनके बैंक अकाउंट खाली करने से लेकर तमाम तरह के नुकसान पहुंचा सकते हैं. यही वजह है कि देश की तमाम पॉलिसी संस्थाएं लगातार सरकार पर दबाव बना रही थीं कि देश में डाटा संरक्षण के लिए एक कानून होना चाहिए जो आम लोगों के डाटा की सुरक्षा करे.
Digital Personal Data Protection Bill से क्या होगा?
अगर ये बिल दोनों सदनों से पास हो जाता है और कानून बनता है, तो ये भारत का कोर डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क होगा. इसका मकसद यूजर्स के पर्सनल डेटा को सेफ रखना है.अगर ये बिल कानून में बदलता है, तो सरकार के पास भारतीय यूजर्स के डेटा को लेकर कई तरह की ताकत होगी. इस बिल के बाद सरकार एक डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड सेट करेगी. ये बोर्ड प्राइवेसी संबंधित मुद्दों और दोनों पार्टियों के बीच मतभेदों को हल करने पर काम करेगा.