India vs Bharat : G20 के मेहमानों को 'President Of India' नहीं, 'President Of Bharat'की तरफ से निमंत्रण पत्र भेजे जाने पर सियासी पारा गरम है. केंद्रीय मंत्री मिनाक्षी लेखी ने कहा, "भारत का संविधान कहता है कि 'India that is Bharat' तो भारत की प्रधानता तो संविधान ही देता है. हमारी मातृभूमि भारत का नाम हमने नहीं दिया, ये हमारे पूर्वजों ने दिया है. विष्णु पुराण के एक श्लोक में लिखा है, 'उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् . वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः' जिसका मतलब है कि समुद्र के उत्तर में और हिमालय के दक्षिण में जो भू भाग है उसका नाम भारत है. इसमें रहने वाले लोगों के नाम भारती हैं. अब विष्णु पुराण से किसी को आपत्ति हो सकती है?"
राष्ट्रपति भवन में G20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज का निमंत्रण 'भारत के राष्ट्रपति' के नाम से भेजे जाने पर कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, "हमारे संविधान के आर्टिकल 1 में साफ तौर पर लिखा गया है कि हमारा नाम इंडिया भी होगा और भारत भी. मोदी जी और संघ के लोग लगातार हमारे संविधान के साथ खिलवाड़ करना चाहते हैं. इनको बाबा साहब के संविधान से दिक्कत है। आपकी नफरत आपका डर आपकी बौखलाहट साफ है, आप INDIA से घबराते हैं। अब ये सनक बन चुका है, अपने देश और अपनी मां का नाम कौन बदलता है...मोदी जी हमसे डरते हैं हमें अपना शत्रु मानते हैं, लेकिन दुश्मनी आज आप देश से निभाने लगे। वे अच्छे से जानते हैं उनके पास राज्य सभा में बहुमत नहीं है."
आम आदमी पार्टी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि भीमराव अंबेडकर का अपमान नहीं है क्योंकि संविधान में उन्होंने 'इंडिया दैट इज भारत' लिखा है। भाजपा के नेताओं ने इसी संविधान पर शपथ ली थी। अब वे कह रहे हैं कि यह गुलामी का प्रतीक है। अगर यह गुलामी का प्रतीक है तो वे इस्तीफा दें... आप इस देश के करोड़ों दलितों का अपमान करेंगे ऐसा हम नहीं होने देंगे.