Madhu Koda Biography : 6 जनवरी को जन्मे मधु कोड़ा (Madhu Koda) 2006-2008 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं. 14 सितंबर 2006 को उन्होंने झारखंड के चौथे मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. 23 अगस्त 2008 तक वे अपने पद पर बने रहे. भारत में कोड़ा ऐसे तीसरे निर्दलीय विधायक हैं जो मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. कोड़ा से पहले, 1971 में ओडिशा में बिश्वनाथ दास (Bishwanath Das) और 2002 में मेघालय के Flinder Anderson Khonglam के नाम ये रिकॉर्ड दर्ज है. दिसंबर 2017 में कोर्ट ने कोड़ा को 3 साल की सजा सुनाई और 25 लाख का जुर्माना भी लगाया. आज ही के दिन मधु कोड़ा ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था... आइए जानते हैं, मधु कोड़ा के बारे में कुछ अहम बातें...
आजाद भारत के इतिहास में शायद ही ऐसा कोई मुख्यमंत्री हुआ होगा जो 10...20...50...और 100 करोड़ नहीं बल्कि 4000 हजार करोड़ के घोटाले में दोषी साबित हुआ हो. एक ऐसा मुख्यमंत्री जो निर्दलीय था लेकिन अपने सूबे पर करीब दो साल तक राज करता रहा. बाद में उसके कैबिनेट के 50 फीसदी मंत्री भी अलग-अलग घोटालों में न सिर्फ फंसे बल्कि उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी.
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ये तो पता नहीं कि उसने घोटालों का कौन सा रिकॉर्ड बनाया लेकिन ये जरूर है कि बतौर निर्दलीय CM बन कर उसने लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम जरूर दर्ज करा लिया. एक ऐसा मुख्यमंत्री जिसकी किस्मत लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने अचानक पलटी और वो रातो रात CM बन गया. अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि हम किस शख्स की बात कर रहे हैं...अगर नहीं तो हम आपको बता दें कि वो शख्स है झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा (Former Jharkhand CM Madu Koda).
आज की तारीख का संबंध उसी मधु कोड़ा से जिनका जिक्र अभी हमने किया. मधु को साल 2008 में आज ही के दिन अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
मधु कोड़ा (Madhu Koda) का जन्म झारखंड के पश्चिम सिंहभूम के जगन्नाथपुर के पाताहातू गांव में 6 जनवरी, 1971 को हुआ था. कोड़ा का शुरुआती जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, इसका जिक्र हम पहले ही कर चुके हैं, लेकिन आदिवासी इलाके से आने वाले मधु अपनी जिंदगी को बदल देना चाहता था. न सिर्फ अपनी, बल्कि अपने आस-पास वालों के लिए भी उसने शुरुआत में बदलाव का ही सपना देखा. बदलाव की यही चाहत मधु को खींच ले गई ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन - All Jharkhand Students Union (आजसू) की ओर. छात्र जीवन में वह इससे जुड़े... फिर RSS में भी सक्रिय रहे और इसी के जरिए राजनीति में भी उतरे. BJP ने उनमें एक आग देखी तो टिकट दे दिया और इसी टिकट पर पहली बार साल 2000 में मधु कोड़ा ने विधानसभा में एंट्री ली.
किस्सा, जो यादगार है
अब यहां से आगे का किस्सा जरा तफ़्सील से...ये साल 2005 की बात है. झारखंड में फिर चुनावी बिगुल बज चुका था. BJP ने इस बार मधु कोड़ा (Madhu Koda Political career) का टिकट काट दिया. इसी बात से नाराज़ कोड़ा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने जगन्नाथपुर से निर्दलीय ही पर्चा भर दिया. ये ऐसा चुनाव था, जिसके परिणाम में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. हालांकि मधु 10 हजार वोट से चुनाव जीत गए थे. 2 मार्च 2005 को शिबू सोरेन (Shibu Soren) के नेतृत्व वाले कांग्रेस-झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन को राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए बुलाया लेकिन सदन में बहुमत साबित नहीं हो सका और सोरेन की सरकार गिर गई.
एक बार फिर अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) ने दावा पेश किया. उनके पास भी विधायकों की संख्या कम थी. कोड़ा ने उन्हें अपनी शर्तों पर समर्थन दिया, अपने तीन साथियों से समर्थन दिलवाया, जिसके बाद सरकार बन गई और बहुमत साबित हो गया. अर्जुन मुंडा सीएम बन तो गए थे, लेकिन सरकार जैसे-तैसे ही चल पा रही थी. इसी बीच एक सड़क को लेकर अर्जुन मुंडा और मधु कोड़ा की अनबन हो गई. मधु कोड़ा विधानसभा में रो पड़े, अपनी ही सरकार पर आरोप लगाए और भाषण खत्म करते ही सरकार से हाथ खींच लिए. अर्जुन मुंडा की सरकार औंधे मुंह गिर पड़ी.
इसके बाद कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, जअुआ मांझी ग्रुप, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक और तीन अन्य निर्दलीय विधायकों ने भी मधु कोड़ा को समर्थन दे दिया. इस तरह से निर्दलीय विधायक रहते हुए भी वो मधु कोड़ा झारखंड के पांचवें सीएम बन गए. इस तरह सीएम बनने के कारण उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है.
ये सारी बातें तो अर्श की हैं. फर्श वाली बातें भी कर लेते हैं. साल 2007 में हुआ कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला. झारखंड में ही पश्चिमी सिंहभूम में रहने वाला विनोद सिन्हा नाम का एक शख्स कोड़ा का काफी करीब था. आयकर विभाग ने मधु कोड़ा, विनोद सिन्हा और उनसे जुड़े देशभर में 167 जगहों पर छापा मारा. इस दौरान पता चला कि मधु कोड़ा ने कोयला, आयरन और खदान आवंटन के साथ ही ऊर्जा विभाग में भी गड़बड़ी की है. तब के राज्य कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने ही कोड़ा के खिलाफ मुहिम छेड़ दी.
सीबीआई ने कहा कि साल 2007 में हुए इस कोल ब्लॉक आवंटन के बदले अरबों रुपए की रिश्वत ली गई. सीबीआई ने इस पूरे मामले में 9 लोगों को आरोपी बनाया. इनमें मधु कोड़ा (Madhu Koda), एचसी गुप्ता (HC Gupta) और कंपनी के अलावा, झारखंड के पूर्व चीफ सेक्रेटरी एके बसु (AK Basu), दो अन्य अफसर बसंत कुमार भट्टाचार्य (Basant Kumar Bhattacharya), बिपिन बिहारी सिंह (Bipin Bihari Singh), वीआईएसयूएल के डायरेक्टर वैभव तुलस्यान (Vaibhav Tulsyan), कोड़ा के कथित करीबी विजय जोशी और चार्टर्ड अकाउंटेंट नवीन कुमार तुलस्यान शामिल (Naveen Kumar Tulsyan) थे.
30 नवंबर 2009 को सीबीआई ने कोड़ा को गिरफ्तार कर लिया. ईडी ने भी कोड़ा को कई मामलों में अभियुक्त बनाया. कुल मिलाकर एक बड़ी जीत से राजनीति का सफर शुरू करने वाले कोड़ा का नाम जितनी तेजी से अर्श तक पहुंचा, उतनी ही तेजी से फर्श तक आ गया.
रांची की CBI कोर्ट के एक फैसले के बाद झारखंड में साल 2006 से 2008 के बीच शासन करने वाली मधु कोड़ा सरकार के नाम एक अजीबोगरीब रिकॉर्ड भी बन गया. इस सरकार में मंत्री रहे बंधु तिर्की (Bandhu Tirkey) को आय से अधिक संपत्ति के मामले में कोर्ट ने दोषी करार देते हुए 3 साल की सजा सुनाई. इसके साथ ही सरकार के एक तिहाई मंत्री भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों में सजायाफ्ता (कनविक्टेड) हो गये हैं.
रिकॉर्ड यह भी है कि इस सरकार के 50 फीसदी मंत्रियों को आपराधिक मामलों की वजह से जेल यात्राएं करनी पड़ी. झारखंड विधानसभा (Jharkhand Assembly) के सदस्यों की संख्या के आधार पर यहां राज्य सरकार में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 12 होती है. यहां 18 सितंबर 2006 से लेकर 23 अगस्त 2008 तक निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा मुख्यमंत्री रहे. उनकी सरकार में भी 12 मंत्री थे. इनमें से 6 यानी कुल 50 फीसदी मंत्रियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगे और उनके खिलाफ सीबीआई जांच बैठी.
इनमें मधु कोड़ा के अलावा उनकी कैबिनेट में शामिल रहे एनोस एक्का (Anosh Ekka), हरिनारायण राय (Harinarayan Rai), बंधु तिर्की (Bandhu Tirkey), भानु प्रताप शाही (Bhanu Pratap Shahi) और कमलेश सिंह (Kamlesh Singh) शामिल है. इन सभी के खिलाफ अलग-अलग तरह के घोटालों के भी मामले दर्ज हुए.
मधु कोड़ा 4000 करोड़ के बहुचर्चित कोयला घोटाले में दोषी पाये गये. दिल्ली की पटियाला हाउस स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में जस्टिस भरत पराशर (Justice Bharat Parashar) ने 16 दिसंबर 2017 को उन्हें 3 साल की सजा सुनाई थी. साथ ही उन पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था. फिलहाल, कोड़ा जमानत पर हैं. उनकी सरकार के तीन और मंत्रियों को अब तक जेल हो चुकी है.
चलते चलते आइए जानते हैं आज की दूसरी अहम घटनाओं के बारे में
1839 - ब्रिटेन ने चीन के साथ हुई जंग में हांगकांग पर कब्जा किया.
1875 - स्वतंत्रता सेनानी और चंपारण सत्याग्रह (Champaran Satyagraha) के अहम चेहरे रहे राजकुमार शुक्ल (Rajkumar Shukla) का जन्म हुआ.
2018 - भारत के प्रसिद्ध लेखकर व पत्रकार कुलदीप नैयर (Kuldeep Nayyar) का निधन हुआ.
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