Maharashtra News: शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में भारत के चीफ जस्टिस (CJI) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल से कहा कि उन्हें विश्वास मत बुलाने के लिए ये तरीका नहीं अपनाना चाहिए था. राज्यपाल ने कैसे अंदाजा लगाया कि आगे क्या होने वाला है ? CJI ने राज्यपाल से सवाल किया कि- क्या फ्लोर टेस्ट बुलाने के लिए पर्याप्त आधार था? सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को टिप्पणी की कि सत्तारूढ़ दल में विधायकों के बीच सिर्फ मतभेद के आधार पर बहुमत साबित करने को कहने से एक निर्वाचित सरकार पदच्युत हो सकती है.
कोर्ट ने साथ ही कहा कि राज्य का राज्यपाल अपने कार्यालय का इस्तेमाल इस नतीजे के लिए नहीं होने दे सकता. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा, ‘यह लोकतंत्र के लिए एक शर्मनाक तमाशा होगा.’
पीठ ने कहा कि इस मामले में नेता प्रतिपक्ष का पत्र मायने नहीं रखता क्योंकि वह हमेशा कहेंगे कि सरकार ने बहुमत खो दिया या विधायक नाराज हैं. इस मामले में विधायकों द्वारा जान को खतरा बताए जाने वाले पत्र भी प्रासंगिक नहीं है.
कोर्ट ने कहा, ‘सिर्फ एक चीज 34 विधायकों का प्रस्ताव है जो बताता है कि पार्टी के काडर और विधायकों में अंसतोष है... क्या यह बहुत साबित करने को कहने के लिए पर्याप्त है? हालांकि, हम कह सकते हैं कि उद्धव ठाकरे संख्याबल में हार गए थे.’
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