राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में दरार के बाद विपक्षी एकजुटता को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं. क्योंकि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए शरद पवार विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे थे. लेकिन उनकी पार्टी में ही बगावत हो गई.
ऐसे में बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो रहे दलों के बीच शरद पवार को लेकर संशय बनने लगा है कि क्या पवार पहले अपनी पार्टी बचाएंगे या विपक्ष को लोकसभा चुनाव के लिए एकजुट करेंगे. हालांकि, शरद पवार यह जरूर कहते नजर आए कि उन्होंने ऐसी बगावत पहले भी देखी हुई है और उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है. दूसरी ओर बगावत के बाद कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी (sonia gandhi) से लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (mamata banarjee) तक ने उनके फोन पर बात की.
इसके बावजूद कुछ विपक्षी दलों के अंदर पवार की भूमिका पर चर्चा शुरू हो गई है. क्योंकि, शरद पवार(sharad pawar) सबसे अनुभवी और मंझे हुए राजनेता माने जाते हैं. जब उनकी पार्टी ऐसी स्थिति बन गई तो लोकसभा चुनाव तक विपक्षी दलों को किस हद तक एकजुट रख पाएंगे.
आपको बता दें कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार लंबे समय से विपक्षी दलों को एकजुट होने की बात कहते आ रहे थे. हालांकि, कई मुद्दों पर वह केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी के साथ भी दिखे. लेकिन जब भी लोकसभा चुनाव की बात आई तो वह बीजेपी के खिलाफ सभी विपक्षी दलों को एकजुट होने की ही बात करते दिखे. उनकी ही कोशिश का नतीजा रहा कि पटना में सभी विपक्षी दल एक मंच पर आए.
इस बैठक को एनसीपी में बगावत की वजह बताई गई. कहा जा रहा है कि शरद पवार ने इस बैठक में शामिल होने से पहले अपनी पार्टी में चर्चा नहीं की थी. पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस विपक्षी एकजुटता के खिलाफ थे. इसके बावजूद पवार पटना की बैठक में पहुंचे थे.