Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में मचे सियासी संग्राम के सूत्रधार वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) एक वक्त पर ठाकरे परिवार के बेहद करीबी थे. उन्हें शिवसेना (Shivsena) के सबसे वफादार नेताओं में गिना जाता था...लेकिन, फिर ऐसा क्या हुआ कि उद्धव (uddhav Thackeray) के बगल वाली कुर्सी पर बैठने वाले शिंदे, उनकी कुर्सी छीनने पर आतुर हो गए. आखिर, क्यों एक वफादार पार्टी में बगावत का बीजधार बन गया, और पार्टी के अंदर ही एक अलग खेमा बना डाला. क्यों उन्होंने महाराष्ट्र की सत्ता गिराने की ठान ली है, और इस मुद्दे पर बीजेपी के साथ गठबंधन की मांग के अलावा उद्धव ठाकरे से बात तक करने को तैयार नहीं है. अलग-अलग रिपोर्ट्स में शिंदे की नाराजगी को लेकर कारण बताए गए हैं...जो कुछ इस तरह हैं.
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शिंदे की नाराजगी की वजहें
एकनाथ शिंदे को किया जा रहा था दरकिनार
पार्टी में वरिष्ठ नेताओं के साथ हो रहे व्यवहार से नाखुश
एकनाथ शिंदे के मंत्रालय में आदित्य ठाकरे का दखल बढ़ा
NCP-कांग्रेस के साथ गठबंधन के फैसले से नाखुश
MVA सरकार में अधिकतर अहम मंत्रालय NCP के खाते में गए
शिवसेना नेताओं को फंड मांगने में भी होती थी परेशानी
सुरक्षा कवर मामले पर भी शिंदे को हुई निराशा
Z कैटेगरी नहीं उद्धव और पवार की तरह चाहते थे Z+ सिक्योरिटी
मातोश्री में पिछले 2 साल से शिंदे का प्रवेश बैन : रिपोर्ट्स
दूर होती जा रही थी सीएम उद्धव तक नेताओं की पहुंच
हाल ही में, पार्टी के एक नेता के हवाले से आई खबरों के मुताबिक बताया गया कि, उद्धव ठाकरे नेताओं के संपर्क में नहीं रहते थे. शिवसेना NCP की कटपुतली बनती जा रही है. एक तरह से मुख्यमंत्री का काम अजित पवार करते हैं और पार्टी प्रमुख का काम संजय राउत करते हैं. एकनाथ शिंदे की भी राय रही है कि NCP ने शिवसेना के भविष्य को नुकसान पहुंचाया है और पार्टी को बीजेपी के साथ गठबंधन कर लेना चाहिए.