महाराष्ट्र ( Maharashtra ) में करीब 10 दिनों तक चला सियासी तूफान आखिरकर थम गया. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नई सरकार ने शपथग्रहण कर लिया है, वहीं देवेंद्र फडणवीस ( Devendra Fadnavis ) डिप्टी सीएम बने हैं.
सीएम पद के लिए शिंदे के नाम के ऐलान ने सभी को हैरान कर दिया. वहीं, डिप्टी सीएम पद के लिए फडणवीस के नाम ने भी कम चकित नहीं किया. भले फडणवीस की नई भूमिका के लिए पार्टी को मान मनौव्वल करनी पड़ी हो लेकिन अगर इसका दूरगामी असर टटोला जाए, तो समझ में आता है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस फैसले से एक तीर से कई शिकार कर लिए हैं...
आइए समझते हैं कि सियासी संकट के पटापेक्ष से बीजेपी को मिला क्या है?
अंग्रेजी अखबार Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी का शिंदे को सीएम बनाने का फैसला उद्धव ठाकरे ( Uddhav Thackeray ) और उनके खेमे के आरोपों की काट साबित होगा. अब वे पार्टी पर ये आरोप लगाकर जनता के बीच नहीं जा पाएंगे कि शिवसेना के सीएम को पद से हटा दिया गया.
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एक दूसरा बड़ा संदेश ये गया है कि बीजेपी को सहयोगियों का पूरा ख्याल है. बीजेपी इस फैसले की वजह से आने वाले BMC चुनाव में बड़ा खेल कर सकती हैं. BMC ही महाराष्ट्र में अगला राजनीतिक अखाड़ा होगा जहां बीते 25 साल से शिवसेना का कब्जा है.
महाराष्ट्र में ये नया पैंतरा शिवसेना ( Shiv Sena ) के लिए बड़ी समस्या है... अगर बीजेपी अपने खेमे से सीएम बनाती तो उद्धव इसकी हमदर्दी लेने की पूरी कोशिश करते. अब बीजेपी ने उद्धव के लिए इस रास्ते पर आगे बढ़ने की संभावना ही खत्म कर दी है.
बीजेपी के लिए उद्धव को हटाने का इससे बेहतर तरीका नहीं हो सकता था. यह एक बदले के साथ साथ आने वाले कल के लिए सुरक्षा का उपाय भी है. शिंदे ने बालासाहब के साथ अपनी तस्वीर भी पोस्ट की है और वह खुद को बालासाहब वाली शिवसेना का अनुयायी भी बताते रहे हैं. बीजेपी ने पद दिया है, तो वह पार्टी के लिए भी वफादार रहेंगे. आखिर शिंदे को भी तो बीजेपी की छाया चाहिए ही...
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उद्धव ने बीजेपी के साथ 25 साल पुराना गठबंधन सीएम बनने के लिए ही तोड़ा था लेकिन अब जब पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता को सीएम की कुर्सी मिल गई, तो भविष्य में कभी भी ठाकरे परिवार के लिए घर के किसी सदस्य को सीएम बनाने की बात पर सोचने से पहले इस फैसले पर कई बार सोचना होगा.
ऐसा फैसला पार्टी के लिए आत्मघाती भी साबित हो सकता है. क्योंकि आम कार्यकर्ता अगर इस फैसले को स्वीकार कर लेता है, तो परिवार का लालच उसे भड़का भी सकता है.
बीजेपी के एक रणनीतिकार ने एक समाचार वेबसाइट से कहा कि हम मानते हैं कि इस फैसले से जमीन पर शिवसेना के लिए कार्य करने वाला कार्यकर्ता हमारे साथ आएगा और उद्धव की तुलना में शिंदे सेना और भी ज्यादा कार्यकर्ताओं का समर्थन जुटा पाएगा.
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शिंदे जमीन से जुड़े नेता रहे हैं, ऐसे में उन्हें सीएम बनाने से एक आम कार्यकर्ता के बीच यह संदेश आसानी से जाएगा कि गद्दी पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता के पास ही गई है.
एकनाथ शिंदे मराठा राजनेता हैं. राज्य की इस आबादी के बीच बीजेपी पिछली सरकार में मराठा कोटा आंदोलन ( Maratha Reservation Movement ) का सामना कर चुकी है, ऐसे में ये समुदाय अब बीजेपी के फैसले के बाद पार्टी के साथ खड़ा हो सकता है.
शिंदे का समर्थन न सिर्फ मराठों को पार्टी के पक्ष में एकजुट कर सकता है बल्कि समाज के निचले तबके पर मौजूद गरीब मराठा मतदाता भी पार्टी के साथ आ सकता है, जो कहीं न कहीं ब्राह्मण चेहरे देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने से पार्टी से छिटक गया था.
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