Mohan Bhagwat on Akhand Bharat: भारत के नक्शे में कैसे मिलेंगे 13 देश? अखंड भारत पर INDEPTH INSIDE STORY

Updated : Aug 14, 2022 16:34
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Mukesh Kumar Tiwari

क्या 15 साल में भारत में एक नहीं, दो नहीं.... कम से कम 8 देश मिल जाएंगे. यानी 2037 तक भारत का नक्शा बदल जाएगा ? ये सवाल राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान से खड़ा हो गया है जो उन्होंने हरिद्वार में दिया.

आरएसएस प्रमुख ( RSS Chief Mohan Bhagwat ) ने कहा कि वैसे तो संतों की ओर से ज्योतिष के अनुसार 20 से 25 साल में भारत फिर से अखंड भारत होगा ही. अगर हम सब मिलकर इस कार्य की गति बढ़ाएंगे तो 10 से 15 साल में भारत अखंड भारत बन जाएगा... इसे कोई रोकने वाला नहीं है, जो इसके रास्ते में जो आएंगे वह मिट जाएंगे.

संघ प्रमुख का बयान किसी छुटभैया नेता का बयान नहीं है. वो भारत की सरकार चला रही पार्टी ( BJP ) की विचारक संस्था के प्रमुख हैं. वो संस्था जिसके प्रचारक खुद प्रधानमंत्री मोदी ( Prime Minister Narendra Modi ) रहे हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर संघ प्रमुख का अखंड भारत ( Akhand Bharat ) है क्या?

क्या है अखंड भारत ? || What is Akhand Bharat?

RSS के अखंड भारत ( Akhand Bharat ) में ना सिर्फ पाकिस्तान, बांग्लादेश है बल्कि अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, तिब्बत, कंबोडिया, इंडोनेशिया, वियतनाम भी हैं. ये हिंदू संस्कृति ( Hinduism Culture ) पर आधारित है.

अफगानिस्तानः इस देश में इस्लाम से पहले बौद्ध धर्म ( Buddhism in Afghanistan ) आया और बौद्ध से पहले यहां हिन्दूशाही थी...

सिन्ध, पाकिस्तानः हिन्दू राजा दाहिर ( Hindu Ruler Dahir ) (679 ईस्वी) के शासन के अंत के बाद यहां इस्लामिक हुकूमत का जन्म हुआ

पंजाब और मुल्तानः सन 1001 में महमूद गजनवी ( Mehmood Ghaznavi ) से राजा जयपाल हारे और सन 1009 में आनंदपाल... इसके बाद यहां भी धर्म परिवर्तन की आंधी चली...

बलूचिस्तानः बलूचिस्तान, भारत के 16 महा-जनपदों में से एक गंधार जनपद का हिस्सा रहा है. 321 ईसा पूर्व में यह चंद्रगुप्त मौर्य ( Chandragupta Maurya ) के साम्राज्य के अंतर्गत आता था...

नेपालः भारत के अलावा नेपाल ( Nepal ) भी एक ऐसा देश है, जहां हिंदू आबादी बहुसंख्यक है... यह मां सीता की जन्मस्थली है...

भूटानः भूटान ( Bhutan ) भी भारतीय महाजनपदों के अंदर्गत विदेही जनपद का हिस्सा रहा है

तिब्बतः तिब्बत ( Tibet ) में पहले हिन्दू, फिर बाद में बौद्ध धर्म प्रचारित हुआ...

म्यांमारः म्यांमार ( Myanmar ) कभी ब्रह्मदेश हुआ करता था. प्राचीनकाल में यह भारत का ही उपनिवेश था...

श्रीलंकाः 2350 वर्ष पूर्व तक श्रीलंका की आबादी ( Popultion of Sri Lanka ) वैदिक धर्म का पालन करती थी...

मलेशियाः मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम और कंबोडिया प्राचीन भारत के मलय प्रायद्वीप के जनपद हुआ करते थे...

सिंगापुरः सिंगापुर की जड़ों में आज भी हिंदू धर्म ( Hinduism History of Singapore ) की मौजूदगी दिखती है. 1930 तक यहां की भाषा में संस्कृत के शब्द समावेश रहे. कहते हैं कि यह सिंह के शहर का अपभ्रंश होकर सिंगापुर बना...

थाईलैंडः थाईलैंड ( Thailand ) का प्राचीन नाम श्यामदेश है. यहां हिंदू देवी देवताओं की प्राचीन दुर्लभ मूर्तियां आज भी मौजूद हैं.

इंडोनेशियाः इंडोनेशिया ( Indonesia ) में 7वीं, 8वीं सदी तक हिंदू धर्म ही विद्यमान था...

कंबोडियाः दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर यहीं पर अंगकोरवाट ( Angkor Wat ) में है... यह पहले एक हिंदू राष्ट्र था, फिर बौद्ध हो गया...

वियतनामः वियतनाम का इतिहास ( History of Vietnam ) 2700 साल से भी पुराना है. वियतनाम का पुराना नाम चम्पा था. 1825 में चम्पा के महान हिंदू राज्य का अंत हुआ...

कैसे जन्मा RSS का अखंड भारत सिद्धांत ? || How RSS's United India Thought Origin?

आरएसएस का जन्म 1925 में हुआ लेकिन अखंड भारत के सिद्धांत की पहली आवाज आजादी के बाद सुनाई दी. 24 अगस्त 1949 को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में एम एस गोलवरकर ने कहा- पाकिस्तान एक अनिश्चित राज्य है. जहां तक संभव हो हमें दोनों देशों फिर से एक करने की कोशिश करनी चाहिए. कोई भी बंटवारे से खुश नहीं है.
17 अगस्त 1965 को भारतीय जनसंघ (आज की बीजेपी) ने दिल्ली में एक प्रस्ताव पास किया जिसमें कहा गया था.

भारत की परंपरा और राष्ट्रीयता किसी धर्म के खिलाफ नहीं है. भारतीय राष्ट्र के रास्ते में मॉडर्न इस्लाम बाधा नहीं है. असली बाधा अलगाववादी राजनीति है. मुस्लिम राष्ट्रीय जीवन से खुद को जोड़ लेंगे और अखंड भारत एक दिन हकीकत होगा. जैसे ही ( अलगाववादी राजनीति) को हम दूर कर देंगे भारत- पाकस्तान का एकीकरण कर देंगे.

अखंड भारत के शहरों के नाम || Cities in Akhand Bharat

संघ से जुड़ी सुरुचि प्रकाशन ने पूण्यभूमी भारत नाम से एक नक्शा प्रकाशित किया. इस नक्शे में अफगानिस्तान को “Upganathan”, काबुल को कुंभ नगर, पेशावर को पुरुषपुर मुल्तान को मूलस्थान, तिब्बत को त्रिविशथाप और श्रीलंका को सिंघल द्वीप, म्यंमार को ब्रह्मदेश बताया गया

खुद संघ नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व बीजेपी प्रभारी राम माधव ने कुछ साल पहले अलजजीरा चैनल के इंटरव्यू में कहा था कि

RSS अभी भी मानती है कि एक दिन ये सभी हिस्से जो ऐतिहासिक वजहों से पिछले 60 सालों से अलग हो गए हैं वो लोकप्रिय जनभावना से एक साथ हो जाएंगे और अखंड भारत का निर्माण होगा.

संघ के सिद्धांत में आमतौर पर 8 देशों को मिलाकर अखंड भारत के निर्माण की बात कही जाती रही है, जबकि कई जगह ये संख्या 13 देशों तक दिखाई देती है. बीजेपी के मातृ संगठन के मन में है क्या, यह तो जगजाहिर है लेकिन मन की बात की पृष्ठभूमि तैयार कैसे होगी, ये भी एक बड़ा प्रश्न है...

अखंड भारत के लिए जो नक्शा आरएसएस दिखाता है, वह प्राचीन काल के हैं, और अब हम 21 सदी में है, जब सीमाएं बदल चुकी हैं, नए राष्ट्र उभर चुके हैं, ऐसे में हजारों साल पुरानी रेखाओं को मिटाकर नई रेखा बनाना व्यवहारिक नहीं लगता है. हां... राजनीति में इसका फायदा जरूर मिल सकता है.

ये भी देखें- EDITORJI SPECIAL: RSS कैसे तैयार करती है BJP की जीत की जमीन, जानिए INDEPTH INSIDE STORY
 

RSS founderBJPRSSRSS chief

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