Mulayam Singh Yadav Funeral : पंचतत्व में विलीन हुए 'नेताजी', आंखों में आंसू लिए सैफई में उमड़ा जनसैलाब

Updated : Oct 29, 2022 15:30
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Editorji News Desk

Mulayam Singh Yadav Funeral : जबतक सूरज चांद रहेगा मुलायम तेरा नाम रहेगा, नेताजी जिंदाबाद के गगनभेदी नारे... लाखों कार्यकर्ताओं के अश्रुपूरित नैन... रुक रुककर होती बारिश के बीच मुलायम सिंह यादव का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन (Mulayam Singh Yadav last rites) हो गया....1939 में जहां जन्मे उसी सैफई (Saifai) की मिट्टी में विलीन हो गए नेताजी.

सैफई में अपार जनसमूह के बीच मुलायम को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई. सैफई ही वह जगह है जहां 22 नवंबर 1939 को मुलायम ने जन्म लिया था. SP संस्थापक के अंतिम दर्शन के लिए मंगलवार को बड़ी संख्या में लोग उनके पैतृक गांव पहुंचे थे.

अंतिम यात्रा और धरतीपुत्र को विदाई देने के इस भावुक लम्हें में रुक रुक कर बारिश भी होती रही. 

गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में ली थी अंतिम सांस

समाजवादी पार्टी (एसपी) संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में 82 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली. उनके पार्थिव शरीर को सोमवार शाम सैफई लाया गया था. मुलायम अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं के बीच ‘नेताजी’ के नाम से मशहूर थे.

साइकिल, मोटरसाइकिल, कार, एसयूवी और ट्रांसपोर्ट के दूसरे साधन से पार्टी के कार्यकर्ता राज्यभर से मुलायम को अंतिम विदाई देने पहुंचे.

सैफई बन गया दूधिया सागर

मुलायम को अंतिम विदाई देने के वक्त सैफई मानो दूधिया सागर बन गया था. सफेद कपड़ों में लाखों लोग यहां पहुंचे थे. कई लोग अपनी-अपनी छतों पर थे. कुछ लोग पेड़ पर चढ़ गए थे तो कुछ अपने प्रिय नेता ‘धरती पुत्र’ को ले जा रहे वाहन को छूने की कोशिश कर रहे थे.

अंतिम संस्कार को लेकर रातभर हुआ काम

समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव के अंतिम संस्कार को लेकर मंच तैयार करने के लिए यहां रुक-रुक कर हो रही बूंदाबांदी के बीच कई लोग और मशीनें रात भर काम करती रहीं. मंच तैयार करने से पहले धातु के ढांचे की मदद से विशाल तिरपाल खड़ा कर पंडाल भी बनाया गया.

ये भी देखें- Mulayam Family: हमेशा कुनबे को जोड़कर रखते थे नेताजी , मुलायम के नहीं होने के क्या मायने ? 

मंच और पंडाल दोनों मेला ग्राउंड परिसर के अंदर बनाए गए हैं, जहां 5 साल पहले तक सैफई महोत्सव आयोजित किया जाता था. अंत्येष्टि स्थल सैफई महोत्सव मैदान पर बने पंडाल में पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया था.

अंतिम संस्कार को लेकर चिता में प्रयोग के लिए चंदन की लकड़ी, इत्र, खुशबू, सामग्री आदि को कन्नौज से लाया गया.

इटावा के स्कूल, बाजार बंद रहे

नेताजी के निधन पर शोक में इटावा जिले के स्कूल, बाजार, प्रतिष्ठान व्यापारियों ने स्वेच्छा से बंद रखे. जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन की ओर से यातायात और सुरक्षा के इंतजाम किये गये. जगह जगह मार्ग परिवर्तन कर यातायात संचालित किया गया.

सियासत से कभी दूर नहीं हुए मुलायम

अपने समर्थकों के बीच हमेशा ‘‘नेता जी’’ के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव बीमार होने के बावजूद कभी सियासी फलक से ओझल नहीं हुए. उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में 22 नवंबर 1939 को जन्मे मुलायम सिंह यादव ने राज्य का सबसे प्रमुख सियासी कुनबा भी बनाया.

ये भी देखें- Mulayam Singh Yadav`s Net Worth: अपने पीछे इतनी संपत्ति छोड़ गए मुलायम सिंह यादव, उन पर भी था कर्ज

यादव 10 बार विधायक रहे और सात बार सांसद भी चुने गए. वह तीन बार (वर्ष 1989-91,1993-95 और 2003-2007) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और 1996 से 98 तक देश के रक्षा मंत्री भी रहे. एक समय उन्हें प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर भी देखा गया था. मुलायम के पुत्र और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी (2012-2017) तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

(PTI से प्राप्त जानकारी के साथ)

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