नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले ( National Herald Money Laundering Case ) में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 13 जून को ED के सामने पेश होना है. इसी दिन देश भर में ईडी दफ्तरों के बाहर कांग्रेस ने ‘सत्याग्रह’ करने की योजना तैयार की है. दिल्ली में पार्टी के सांसद और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य जांच एजेंसी के मुख्यालय तक मार्च भी करेंगे. कांग्रेस के इस शक्ति प्रदर्शन के बीच सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसकी तुलना 2010 के उस किस्से से की है, जब नरेंद्र मोदी SIT के पास पहुंचे थे.
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मोदी जब SIT के पास पहुंचे थे, तब वह CM थे. सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने गुजरात दंगों ( Gujarat Riots ) की जांच करने के लिए SIT का गठन किया था. इसी SIT के सामने मोदी को पेश होना था. तब मोदी बगैर किसी प्रदर्शन और रैली के हाथ जोड़कर SIT के दफ्तर पहुंचे थे. दो सेशन में दिन भर उन्होंने पूछताछ के दौरान सवालों के जवाब भी दिए थे. सूत्रों के अनुसार, तब मोदी ने पूरी गंभीरता दिखाते हुए बगैर किसी राजनीति के टीम का सहयोग किया था.
बीजेपी नेताओं का कहना है कि जब मोदी SIT के सामने पेश हुए, तो उनके खिलाफ एक भी FIR नहीं थी जबकि, राहुल गाधी नेशनल हेराल्ड मामले में जमानत पर हैं.
28 मार्च 2010 को मोदी SIT दफ्तर में जब मोदी दाखिल हुए थे, तो उनके साथ कोई बड़ा नेता नहीं था लेकिन राहुल गांधी के मामले में कांग्रेस ने अपने सांसदों को ईडी ऑफिस तक मार्च के लिए दिल्ली बुलाया है. सूत्रों ने बताया है कि भारतीय युवा कांग्रेस, एनएसयूआई और पार्टी से जुड़े अन्य संगठनों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भी राहुल गांधी के समर्थन में मौजूद रहेंगे.
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