नए संसद भवन (new Parliament building) में प्राचीन भारतीय (ancient Indian) विचारों के प्रभाव को दर्शाते हुए एक भित्ति चित्र रविवार को सोशल मीडिया पर वायरल (viral on social media) हो गया, इसमें दावा किया गया है कि यह अखंड भारत के संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे आरएसएस द्वारा "सांस्कृतिक अवधारणा" के रूप में वर्णित किया गया है.
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रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए नए संसद भवन में भित्तिचित्र, अतीत के अहम साम्राज्यों और शहरों को चिह्नित किया गया है और वर्तमान में पाकिस्तान में मौजूद तक्षशिला में प्राचीन भारत के प्रभाव को दर्शाया गया है. इसको लेकर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट कर कहा है कि संकल्प स्पष्ट है- अखंड भारत.
भाजपा की कर्नाटक इकाई ने नए संसद भवन के अंदर प्राचीन भारत, चाणक्य, सरदार वल्लभभाई पटेल और बी आर अंबेडकर और देश की सांस्कृतिक विविधता के भित्ति चित्रों सहित कलाकृतियों की तस्वीरें साझा कीं. कर्नाटक भाजपा ने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा, "यह हमारी महान महान सभ्यता की जीवंत होने का प्रतीक है". मुंबई नॉर्थ-ईस्ट से लोकसभा सदस्य मनोज कोटक ने ट्विटर पर कहा, "नई संसद में अखंड भारत. यह हमारे शक्तिशाली और आत्मनिर्भर भारत का प्रतिनिधित्व करता है." कई ट्विटर यूजर्स ने नए संसद भवन में 'अखंड भारत' के चित्रण का स्वागत किया और आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या यह विपक्ष के समारोह के बहिष्कार का कारण था.
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नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट के महानिदेशक अद्वैत गडनायक ने कहा, "हमारा विचार प्राचीन युग के दौरान भारतीय विचारों के प्रभाव को चित्रित करना था. यह उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में वर्तमान अफगानिस्तान से लेकर दक्षिण-पूर्वी एशिया तक फैला हुआ है" गडनायक नए संसद भवन में प्रदर्शित कलाकृतियों के चयन में शामिल थे.