26 नवंबर, 2012 में आम आदमी पार्टी की स्थापना हुई और करीब 10 सालों में ही आंदोलन से उभरी पार्टी ने दो राज्यों में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के तर्ज पर ही पंजाब में भी पार्टी ने किसी के लिए कोई मौका नहीं छोड़ा.
चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने दो बार के सांसद भगवंत मान को पंजाब का सीएम चेहरा घोषित कर दिया था. भगवंत मान पंजाब में पहले से ही मशहूर थे, साथ में केजरीवाल का दिल्ली मॉडल...बस कर लिया पंजाब फतह !
आम आदमी पार्टी ने पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में दिल्ली के बाहर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और पंजाब में दांव लगाया, लेकिन उसका पूरा ज़ोर पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर रहा और रुझान भी उसी तरह का रहा.
इस तरह पंजाब के शासन में एक नई पार्टी के आने का इतिहास बन गया, तो आम आदमी पार्टी वर्तमान में देश के एक से अधिक राज्य में शासन करने वाली तीसरी पार्टी भी बन गई.
कांग्रेस को जो नुकसान होता दिख रहा है उसका लगभग सीधा फायदा 'आप' को मिल रहा है. 'मुफ़्त' घोषणाओं का असर हुआ लगता है. जनता को आम आदमी पार्टी की घोषणाएं समझ में आई हैं. इस मामले में जनता ने आम आदमी पार्टी पर अन्य पार्टियों से अधिक भरोसा किया है.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने पंजाब की राजनीति में एंट्री ली थी और उस समय भी पार्टी को अच्छी सफलता मिली थी. AAP ने पंजाब की 14 सीटों में से 4 पर कब्जा किया था. लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में केजरीवाल की पार्टी को सिर्फ एक ही सीट मिल पाई.
आम आदमी पार्टी ने पिछले पंजाब विधानसभा चुनाव में सनसनी जरूर पैदा कर दिया था. खबरें ऐसी थीं कि पंजाब में शायद आप को सरकार बनाने लायक जीत मिले. लेकिन 2017 के पंजाब चुनाव में 20 सीटें ही आम आदमी पार्टी को मिलीं.
कहते हैं आम आदमी पार्टी ने उसदिन देशभर में अपना डंका पीट दिया था, जब दिल्ली में 2015 विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीती थी. मतलब किसी के लिए कोई जगह नहीं. सब धाराशाई हो गए थे. इस प्रचंड जीत के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कई ऐसे पोपुलर फैसले लिए जो उनको और उनकी पार्टी को सुर्खियों में रखे रहा. जैसे बिजली-पानी माफ, अस्पताल का बिल साफ! सरकारी स्कूलों में बदलाव की क्रांति और दिल्ली की सत्ता उन लोगों की भागीदारी हो गई जो कभी विधायक के दफ्तर तक पहुंचने में सोचते थे.
अरविंद केजरीवाल की ही राजनीति का असर है कि देश के कई राज्यो में अलग-अलग पार्टियों ने फ्री बिजली का वादा कर दिया था. वही पार्टियां पहले ‘मुफ्त वाली राजनीति’ के खिलाफ आवाज उठा रही थीं.
साल 2019, दिल्ली में फिर चुनाव हुआ...! प्रधानमंत्री मोदी खुद और उनकी पूरी टीम केजरीवाल को हराने में लग गई. गृहमंत्री अमित शाह घर-घर जाकर दिल्ली के लोगों से वोट मांगा, लेकिन लोगों ने फिर खाली हाथ उन्हें लौटा दिया. आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में 70 में से 62 सीटों पर जीत दर्ज कर जबरदस्त वापसी की.