पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत के संघीय ढांचे के मद्देनजर 'एक देश, एक चुनाव' का विचार व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है.
ईमानदारी से इस मामले को देखे EC
ममता ने भारत निर्वाचन आयोग (ECI) से इस मामले को 'बहुत ही तर्कसंगत रूप से' देखने का अनुरोध किया.ममता ने संवाददाताओं से कहा, ''व्यावहारिक रूप से इसका समर्थन नहीं करती क्योंकि ऐसा संभव नहीं है, स्वीकार्य नहीं है और संघीय ढांचे के दृष्टिकोण से सही नहीं है." ममता बोलीं कि EC से इस मामले को बहुत ईमानदारी से देखने का अनुरोध करूंगी, उन्हें विशेष रूप से इस मामले में बहुत तर्कसंगत रहना चाहिए.''
CM ममता ने दिया ये तर्क...
ममता ने अलग-अलग राज्यों की क्षेत्रीय समस्याओं और उनकी कई नीतियों की ओर ध्यान दिलाया. उन्होंने कहा, ''भारत एक संघीय ढांचा है और हमारे यहां अलग-अलग धर्म हैं... हमारी विविधता में एकता है." ममता बोलीं कि, अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग क्षेत्रीय समस्याएं हैं, वहां अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं...कुछ को स्थिर सरकार मिलती है तो कुछ को नहीं, इन दिनों सरकारें खरीदी जा रही हैं... इसलिए समस्याएं हैं.''
विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की आवाज बताया
ममता ने कहा, ''यह सिर्फ हमारी आवाज नहीं बल्कि विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की आवाज है, हमें अपनी राज्य नीति, केंद्रीय नीति, राज्य संरचना, हमारी संघीय संरचना को देखना चाहिए."
'हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है'
बंगाल की मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि, "क्या देश में अमेरिका की तरह राष्ट्रपति चुनाव कराने का विचार है. उन्होंने सवाल किया, ''एक देश का मतलब है, कुल मिलाकर अमेरिका में जिस तरह राष्ट्रपति पद का चुनाव होता है ठीक वैसे ही एक बार में चुनाव कराना... यह हमारे संविधान में नहीं है." ममता बोलीं किस हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है, इसलिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग चुनाव होते हैं... क्या होगा अगर केंद्र सरकार गिर गई तो? अगर किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला तो क्या होगा?''
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति
बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर अपनी-अपनी राय रखने के लिए एक पत्र लिखा था. पिछले साल सितंबर में गठित समिति की दो बैठक हो चुकी हैं. समिति ने इस मुद्दे पर जनता से विचार मांगे हैं और राजनीतिक दलों को भी पत्र लिखकर एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर उनके विचार करने की मांग की है.
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