चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) ने कहा है कि 2022 में 4 राज्य जीत लेने भर से ही 2024 की लड़ाई तय नहीं हो जाती है. 2024 की लड़ाई, 2024 में ही तय होगी. उन्होंने देश में बंगाल, बिहार, तेलंगाना के राजनीतिक हालात पर भी बात की. अपने अनुभवों को बताया है लेकिन उनके इंटरव्यू में सबसे महत्वपूर्ण बात मोदी और 2024 की लड़ाई ही है. प्रशांत किशोर ने ये सभी बातें समाचार पत्र दैनिक भास्कर के साथ खास इंटरव्यू में की...
प्रशांत किशोर (पीके) ने कहा कि 2014 में पूरे देश में मोदी को 31% वोट (BJP got 31% vote in 2014) मिले थे जबकि 2019 में 38% (BJP got 38% vote in 2019) वोट. लोकसभा में एक बार उनको 260 के आसपास सीट मिली... 2019 में 300 के आसपास सीट मिली... संसद की सभी सीटें तो वे भी नहीं जीते. विधानसभा के आंकड़े बताते हुए उन्होंने कहा कि देश में 50% से थोड़ी कम जनसंख्या आज बीजेपी शासित राज्यों में है... देश की 4 हजार से ज्यादा विधानसभाओं में से करीब 1800 में बीजेपी विधायक हैं... हर व्यक्ति तो फिर भी बीजेपी को वोट नहीं कर रहा है.... हां, वोट करने वालों में बड़ी संख्या बीजेपी के वोटर की है.
क्या मोदी अपराजेय हैं? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि नहीं... मोदी 2014 में जीते, 2015 में दिल्ली हारे... 2015 में ही बिहार हारे, 2016 में सिर्फ असम जीत सके. दूसरे राज्यों में भी बीजेपी अच्छा नहीं कर सकी. पिछले 7 साल मोदी जी का डॉमिनेंस रहा है लेकिन कोई ऐसा भी साल नहीं बीता, जब वह चुनाव न हारे हों.
मोदी की पर्सनैलिटी पर उन्होंने कहा कि पीएम में बहुत सारी अच्छाइयां हैं. वह एक ग्रेट लिसनर हैं. यह खूबी ही उनकी ताकत है. पीके ने कहा कि मोदी ने करीब 15 साल RSS प्रचारक के तौर पर बिताए और समाज का फर्स्ट हैंड एक्सपीरियंस लिया. बीजेपी में 15 साल वह एक कार्यकर्ता के तौर पर रहे और फिर 15 साल मुख्यमंत्री के तौर पर... इस पूरे समय क मिला देंगे तो समझ में आएगा कि वह एक यूनीक प्रोफेश्नल मिक्स हैं.
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