द्रौपदी मुर्मू ( draupadi murmu)ने देश की 15वीं राष्ट्रपति (president)के तौर पर शपथ ली है और इस दौरान उन्हें 21 तोप की सलामी दी गई. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सलामी सिर्फ 8 तोप से ही दी जाती है और इसके गोले असली होते हैं या नकली ? तो चलिए हम आपको बताते हैं 21 तोप की सलामी की पूरी कहानी
21 नहीं सिर्फ 8 तोप से दी जाती है सलामी
21 तोप की सलामी सुनने से हमें लगता है कि 21 तोपों को खड़ा करके सलामी दी जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है. राष्ट्रपति को सलामी देते वक्त 21 नहीं बल्कि 8 तोप का ही प्रयोग किया जाता है. और उनमें से भी 7 तोप ही गोले छोड़ती हैं. एक तोप गोला नहीं छोड़ती. प्रत्येक तोप 3-3 गोले छोड़ती है और इस तरह 21 गोले दागकर उसे 21 तोप की सलामी कहा जाता है.
क्या असली होते हैं तोप के गोले ?
हमारे दिमाग में एक सवाल और आता है कि क्या सलामी के वक्त तोप के गोले असली होते हैं. तो हम आपको बता दें कि तोप से छोड़ा जाने वाला गोला एक खास किस्म से बनाया जाता है और इसे 'स्पेशल सेरोमोनियल कार्टरेज' (Special Ceremonial Cartridge) कहा जाता है. जो खाली होता है यानि केवल आवाज और धुआं छोड़ता है. इससे कोई नुकसान नहीं होता.
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2.25 सेकेंड में होता है तोप का एक फायर
आप यह रोचक बात भी जान लीजिए. दरअसल 21 तोप की सलामी देते वक्त समय का पूरा ख्याल रखा जाता है और 2.25 सेकेंड में एक फायर किया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि हमारा राष्ट्रगान 52 सेकेंड में खत्म होता है और अगर आप 2.25 सेकेंड का गुणा 21 से करेंगे तो 52 सेकेंड से कम आएगा.
21 तोप की सलामी का इतिहास
तोप से सलामी की परंपरा सेना में रही है. 21 तोपों की सलामी देश का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है. स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या फिर देश के सर्वोच्च लीडर के सम्मान के दौरान यह सलामी दी जाती है. बता दें इस पारंपरिक रेजिमेंट (traditional regiment) का मुख्यालय मेरठ में है और इसमें करीब 122 जवान शामिल होते हैं. हालांकि यह एक स्थायी रेजीमेंट नहीं है, यानि जैसे ही एक रेजीमेंट कहीं दूसी जगह शिफ्ट होता तो उसकी जगह दूसरी रेजीमेंट ले लेती है.