उज्बेकिस्तान के समरकंद ( Samarkand) में एससीओ समिट (SCO Summit ) में हिस्सा लेने के लिए पीएम मोदी (PM Modi) सहित दुनिया के कई ताकतवर देशों के राष्ट्रध्यक्ष पहुंचे हैं. लेकिन क्या आप जानतें क्या है एससीओ समिट? और कब-कैसे हुई इसकी शुरुआत....शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन यानी एससीओ की शुरुआत साल 1996 में हुई थी. हालांकि इसका शुरुआती नाम शंघाई-5 था. जब इस संगठन की स्थापना हुई तब चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गीस्तान और तजाकिस्तान इसके सदस्य थे.
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इस संगठन को साल 2001 में SCO नाम दिया गया था. एससीओ की स्थपाना एक खास मकसद के तहत की गई थी. जिसका मकसद था कि नसलीय और धार्मिक चरमपंथ का सामना करना. इसी के साथ बिजनेस और निवेश को बढ़ाना भी एससीओ संगठन के मूल उद्देश्य में शामिल था. इसके बाद इस संगठन का फोकस एनर्जी सप्लाई और आतंकवाद को खत्म करने की ओर शिफ्ट हो गया. इतना ही नहीं एससीओ को एक तरह से अमेरिका के संगठन नाटो के दबाव को कम करने वाला संगठन भी माना जाता है.
भारत कब बना SCO का सदस्य?
साल 2005 में भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को एक साथ SCO में एंट्री मिली, पहले दोनों देशों को ऑब्जर्वर के तौर पर शामिल किया गया था और साल 2017 में दोनों देश इस संगठन के स्थाई मेंबर बन गए. खास बात यह है कि ये चौथा मौका है जब भारत पर्मानेंट मेंबर के तौर SCO सबमिट में शामिल हो रहा है.
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कौन-कौन से देश हैं SCO के सदस्य?
इस संगठन में 8 सदस्य हैं. चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान. इसके अलावा इस संगठन में 4 ऑब्जर्वर देश अफगानिस्तान, बेलारूस, मंगोलिया और ईरान हैं. हालांकि ईरान को मेंबर बनाने की प्रक्रिया 2021 में ही शुरू कर दी गई है.