राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल (Senior advocate, kapil sibal) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सीनियर वकील ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की है. खास बात ये है कि इस बार उन्होंने कोर्ट में ही उसकी आलोचना की. सिब्बल ने मंगलवार को एक बेंच के सामने कहा कि संस्था से लोगों का भरोसा धीरे-धीरे उठ रहा है.
पूरा मामला क्या है?
दरअसल, समाचार वेबसाइट लाइव लॉ के मुताबिक अब्दुल्ला आजम के वकील कपिल सिब्बल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान ये कहा. सिब्बल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ के समक्ष कहा कि संस्था पर विश्वास धीरे-धीरे कम हो रहा है.
कपिल सिब्बल ने कहा....
कपिल सिब्बल ने कहा "जिस कुर्सी पर आप बैठते हैं, उसके लिए हमारे मन में बहुत सम्मान है. यह एक ऐसी शादी है जिसे बार और बेंच के बीच नहीं तोड़ा जा सकता है. यहां कोई अलगाव नहीं है और एक बार हमें पता चलता है कि क्या हो रहा है कभी इस छोर पर और कभी दूसरे छोर पर. और यह मेरे जैसे व्यक्ति को परेशान करता है, जिसने इस अदालत के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया"
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जस्टिस रस्तोगी का जवाब...
जस्टिस रस्तोगी ने जवाब दिया, "हम हमेशा कहते हैं कि बार और बेंच रथ का पहिया हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि ये दो पहिये हैं, भगवान जाने एक पहिया कहां जाता है और दूसरा पहिया कहां जाएगा जबकि रथ वहीं रहेगा. फिर भी हमें यह पता लगाना होगा कि हम सभी इस संस्था से संबंधित हैं और इस संस्था ने हमें सब कुछ दिया है तो हमारा बार से और हमें भी आत्मनिरीक्षण करने का अनुरोध है कि हम कैसे टिके रह सकते हैं. लोगों का विश्वास बना रहे इस पर काम करना होगा."
कपिल सिब्बल ने कहा...
सिब्बल ने जवाब दिया कि अगर बार और बेंच दोनों नियमों का पालन करेंगे तो स्थिति में विश्वास कायम रहेगा. यदि एक वादी को लगता है कि उसकी सुनवाई की गई है और कानून को सही तरीके से लागू किया गया है, तो विश्वास बना रहेगा, भले ही निर्णय उसके खिलाफ हो.
जस्टिस रस्तोगी का जवाब...
जस्टिस बी वी नागरत्ना ने कहा, "हारने वाला पक्ष जो महसूस करता है उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हारने वाला पक्ष क्या महसूस करता है. हारने वाले पक्ष को भी संतुष्ट होकर वापस जाना चाहिए." बता दें कि इससे पहले अगस्त में भी सिब्बल ने कुछ इसी तरह सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए थे. लेकिन तब वह एक कार्यक्रम में बोले थे. पिछले महीने भी उन्होंने जकिया जाफरी और पीएमएलए के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी की थी.
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