महाराष्ट्र (Maharashtra) के प्रमुख नेताओं में से एक और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ रहे हैं. वो चाहते हैं कि युवा अब पार्टी का नेतृत्व करे. शरद पवार देश के रक्षा मंत्री और कृषि मंत्री भी रहे हैं. महाराष्ट्र के 3 बार मुख्यमंत्री रहे शरद पवार का राजनीतिक सफर 1967 से कांग्रेस के साथ शुरू हुई जब बारामती से चुनकर वो पहली बार विधानसभा सदस्य बने. उन्हें मंत्रीमंडल में राज्यमंत्री बनाया गया. यशवंत राव चव्हाण को शरद पवार का राजनीतिक संरक्षक माना जाता है.
45 साल पहले 1978 में कांग्रेस से बगावत कर जनता पार्टी के सहयोग से शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. तब पवार प्रदेश में 38 साल के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री थे जो रिकार्ड आज भी उनके नाम है. शरद पवार ने 1978 में जनता पार्टी, जिसमें वर्तमान भारतीय जनता पार्टी यानि जनसंघ भी शामिल थी, के साथ मिलकर महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर किया था। दरअसल, 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस (यू) और कांग्रेस (आई) ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। पवार कांग्रेस (यू) में शामिल हुए. राज्य में जनता पार्टी की सरकार को सत्ता में आने से रोकने के लिए दोनो कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई. लेकिन कुछ महीने बाद पवार ने कांग्रेस (यू) को तोड़ दिया और जनता पार्टी के सहयोग से प्रगतिशील विकास संगठन (पुरोगमी विकास आघाड़ी) बनाई और इसके बाद मुख्यमंत्री बन गए. हालांकि पवार 1986 में फिर कांग्रेस में शामिल हुए थे और उसके बाद 26 जून 1988 से लेकर 25 जून 1991 तक दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे.
Sharad Pawar Resigns as NCP Chief: एनसीपी अध्यक्ष पद से शरद पवार ने दिया इस्तीफा
शरद पवार ने साल 1999 में कांग्रेस नेता पीए संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का विरोध किया. इनलोगों ने सोनिया के विदेशी मूल के मुद्दे को उठाया. इसके बाद इन तीनों नेताओं को कांग्रेस ने पार्टी से निकाल दिया. इसके बाद पवार ने 25 मई 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का गठन किया. पीए संगमा और तारिक अनवर भी पार्टी में पवार के सहयोगी बने. इसके बाद महाराष्ट्र में एनसीपी-कांग्रेस का गठबंधन हुआ और दोनो पार्टियों ने मिलकर लगातार 15 साल तक सरकार चलाई. 1993 में तीसरी बार उन्होने सीएम पद की शपथ ली. वो यूपीए सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रहे. इसके अलावा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर 2005 से 2008 तक रहे. 2010 में आईसीसी के प्रेसिडेंट रहे. उन्होने अपनी राजनीतिक विरासत बेटी सुप्रिया सुले और भतीजे अजित पवार को सौंपा. सुप्रिया सुले 2009 और 2014 में अपने पिता की बारामती सीट से सांसद चुनी गई. हालांकि एनसीपी की बागडोर अभी तक शरद पवार के हाथों में ही थी.