महाराष्ट्र में शिवसेना (Shiv Sena) के बीच मचे सियासी संग्राम को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जोरदार बहस हुई. विधायकों की अयोग्यता के मामले को लेकर एक तरफ उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने अपना पक्ष रखा तो वहीं शिंदे गुट के वकील हरीश साल्वे ने अपनी दलीलें दीं.
उद्धव गुट के वकीलों ने क्या कहा ?
बहस की शुरूआत करते हुए कपिल सिब्बल ( kapil sibal) ने शिंदे के शपथ ग्रहण पर सवाल उठाए और कहा कि विधायकों की अयोग्यता पर फैसले से पहले शपथ ग्रहण नहीं होना चाहिए था. सिब्बल ने कहा कि ठाकरे की सरकार गिराते वक्त संविधान का उल्लंघन किया गया. कपिल सिब्बल ने यह कहते हुए विधायकों को अयोग्य करने के लिए कहा कि उन्होंने व्हिप का उल्लंघन किया है और संविधान की 10वीं अनुसूची के मुताबिक शिंदे गुट के विधायक अयोग्य हैं.
इसे भी देखे : Mohammed Zubair को 'Supreme' राहत, शाम 6 बजे से पहले रिहा करने के आदेश
शिंदे गुट की तरफ से हरीश साल्वे की दलील
कपिल सिब्बल की दलीलों पर बहस करते हुए हरीश साल्वे ( harish salve) ने कहा कि शिव सेना के विधायकों ( MLA) ने पार्टी के अंदर ही बगावत की है ना कि किसी दल का दामन थामा. इसीलिए इसे दलबदल कानून के तहत नहीं माना जा सकता. शिंदे गुट के वकील ने कहा कि पार्टी में रहकर आवाज उठाना बगावत नहीं है. और अगर पार्टी के विधायक अपना नेता बदलना चाहते हैं कि तो इसमें दिक्कत क्या है. हरीश साल्वे ने अपने तर्कों में कहा कि 16 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई नहीं की जा सकती है. यह तभी की जा सकती थी जब वह किसी पार्टी में शामिल होते.
क्या है मामला ?
बता दें कि जब शिवसेना से एकनाथ शिंदे ने बगावत की और बड़ी संख्या में विधायकों का एक गुट उनके साथ अलग हो गया तो उस वक्त डिप्टी स्पीकर ने 16 विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया था, जिसमें खुद एकनाथ शिंदे ( Eknath shinde) का भी नाम है. वहीं शिंदे खेमे की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी कि जब दो तिहाई विधायकों को डिप्टी स्पीकर पर अविश्वास है तो वह उन्हें अयोग्य कैसे ठहरा सकते हैं.