शिवसेना (Shivsena) की दावेदारी को लेकर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray ) और एकनाथ शिंदे आमने-सामने हैं. शिंदे कैंप का कहना है कि वो वास्तविक 'शिवसेना' के हकदार है जबकि उद्धव ठाकरे सीएम शिंद (CM Ekanth Shinde) के दावे को चुनौती दे रहे हैं. ठाकरे ने शिंदे के इस दावेदारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिस पर 1 अगस्त को सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली की बेंच से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अपील की थी कि वो उद्धव ठाकरे की गुट की ओर से पक्ष पेश करें. ठाकरे चाहते हैं कि विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर भी महाराष्ट्र विधानसभा में स्पीकर को फिलहाल फैसला देने से रोका जाए.
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उद्धव ठाकरे की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट की ओर से चुनाव आयोग के समक्ष वास्तविक शिवसेना होने के दावे को लेकर की जा रही सुनवाई पर रोक लगाई जाए. चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों को नोटिस भेजा है. 8 अगस्त को मामले की सुनवाई होगी और चुनाव आयोग बताएगा कि असली शिवसेना किसकी है. आपको बता दें कि बगावत करके एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) फिलहाल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन चुके हैं और खुद के गुट को असली शिवसेना बता रहे हैं जबकि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने इस दावे को चुनौती दी है.
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एकनाथ शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर शिवसेना का चुनाव चिन्ह 'धनुष-बाण' उन्हें आवंटित करने की मांग की थी. इस पत्र में शिंदे गुट ने 55 में से 40 विधायकों और 19 लोकसभा सांसदों में से 12 के समर्थन का दावा किया था. साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा दी गई मान्यता का हवाला दिया था. दूसरी तरफ शिवसेना के संस्थापक स्वर्गीय बाला साहब ठाकरे के बेटे और उद्धव ठाकरे के गुट ने भी आयोग को पत्र लिखा. इसमें सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री के खेमे ने अनुरोध किया था कि पार्टी के नाम और उसके चुनाव चिह्न पर दावों के लिए कोई भी फैसला लेने से पहले उसके विचार को सुना जाए. महाराष्ट्र में शिवसेना के 55 में से कम से कम 40 विधायकों ने बागी नेता एकनाथ शिंदे को समर्थन देने की घोषणा की थी, जिसके बाद शिवसेना-कांग्रेस औऱ राष्ट्रवादी कांग्रेस की महाअघाड़ी सरकार गिर गई थी.